वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) के साथ बैठक की और उनसे कोरोना प्रभावित अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिए बड़े आत्मनिर्भर पैकेज को लागू करने के लिए कहा। बीस लाख करोड़ रुपये से अधिक के राहत पैकेज के एलान के बाद वित्त मंत्री की सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ पहली बैठक हुई, जो वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई। केंद्रीय कैबिनेट ने गत बुधवार को इस पैकेज की तमाम योजनाओं को अपनी मंजूरी प्रदान की है। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को हुई बैठक की जानकारी देते हुए ट्विटर पर बताया कि हर किसी ने एमएसएमई और अन्य उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता रेखांकित की।
पैकेज पर क्रियान्वयन किस तरह किया जाएगा, इसके बारे में दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इस संदर्भ में शीघ्र ही विवरण दिया जाएगा। इंडियन बैंक की प्रबंध निदेशक पद्मजा चंदरू ने बैठक के बाद बताया कि वित्तमंत्री ने एमएसएमई को अतिरिक्त कर्ज जल्द से जल्द जारी करने, प्रक्रिया, फार्मेट और दस्तावेजों को आसान बनाने पर जोर दिया।
एमएसएमई को जो राहत पैकेज दिया गया है उसमें सबसे प्रमुख है तीन लाख करोड़ रुपये की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम। 9.25 प्रतिशत की रियायती दर पर 100 प्रतिशत गारंटी स्कीम 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की दूसरी सबसे बड़ी घोषणा है। मौजूदा समय एमएसएमई को दिए जाने वाले बैंक लोन की दर साढ़े नौ प्रतिशत से 17 प्रतिशत के बीच रहती है और इसका निर्धारण जोखिम के पहलू के आधार पर होता है।
बैठक के बाद सेंट्रल बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ पल्लव महापात्र ने कहा, वित्तमंत्री ने हालात की समीक्षा की और सभी बैंक योजनाओं को लेकर बहुत उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना के प्रकोप के समय बैंकों द्वारा मंजूर किए गए कर्ज पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले ज्यादा है। इसके बाद डीडी न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में वित्तमंत्री ने बैंक प्रमुखों के साथ अपनी बैठक को बहुत अच्छा बताया। उन्होंने 1.70 लाख करोड़ रुपये की पीएम गरीब कल्याण योजना के क्रियान्वयन में बैंकों के काम को सराहा।