लॉकडाउन में फंसे बिहार के 28 मजदूर 70 हजार रुपये में बस बुक कर मंगलवार को घर के लिए रवाना हो गए। सभी शहर और आसपास के क्षेत्रों के होटल और ढाबों में काम करते थे। बता दें कि प्रदेश सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि बाहर के श्रमिकों को अपना इंतजाम करके खुद जाना होगा। सरकार इस मामले में सहयोग नहीं करेगी। दूसरों राज्यों में फंसे प्रवासियों को उत्तराखंड सरकार ट्रेन और बसों के सहारे ला रही है।
ऊधमसिंह नगर में बिहार के अलग-अलग जिलों के हजारों लोग काम कर रहे हैं। इस बीच कोरोना संक्रमण रोकने के लिए हुए लॉकडाउन के बाद काम बंद हो गया। इससे बिहार समेत अन्य राज्यों के हजारों श्रमिकों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया।
शहर के होटल और ढाबों में काम करने वाले बिहार के जिला मुजफ्फरपुर थाना औराया के गांव छोटा बमनगांवा निवासी 28 मजदूर भी लॉकडाउन में यहीं फंस गए। उन्होंने प्रशासन से घर वापसी में मदद मांगी, लेकिन पास के अलावा कोई मदद नहीं हो सकी। इसके बाद उन्होंने प्रति व्यक्ति 2500-2500 रुपये एकत्र कर 70 हजार रुपये में एक बस बुक की और मंगलवार को बिहार के लिए रवाना हो गए।
बस में सवार राजन सैनी ने बताया कि वह शहर के अलग-अलग होटल और ढाबों में काम करते थे। दो माह से लॉकडाउन में फंसे थे। इस दौरान होटल और ढाबा स्वामियों ने उनके खाने-पीने का इंतजाम किया। कुछ लोगों के पास रुपये नहीं थे तो होटल और ढाबा स्वामियों ने उनकी मदद की।