रहमत और बरकत के महीने रमजान की तैयारी शुरू हो गई है। अगर 23 अप्रैल को चांद दिखा तो पहला रोजा इसके अगले दिन 24 को होने की उम्मीद है। रमजान का पहला हफ्ता लॉकडाउन में गुजरना तय है। ऐसे में नमाज अदा करने के लिए लोग मस्जिद नहीं जा सकेंगे। घर में ही इबादत करनी होगी। विशेष नमाज तरावीह भी मस्जिदों में नहीं होगी।
इस्लामिक कैलेंडर के नौवें महीने रमजान को मुस्लिम समुदाय बहुत पवित्र मानता है। रमजान में पूरे माह रोजे रखे जाते हैं। इसके बाद 29वें या 30वें रोजे के दिन चांद देखकर ईद का दिन तय किया जाता है। इस महीने का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है, फिर चाहे वो बुजुर्ग हों या बच्चे। हर बार रमजान शुरू होते ही बाजार तरह-तरह के पकवानों से महक उठते थे। चहल-पहल बढ़ जाती थी। घरों के साथ मस्जिदों में भी तैयारियां की जाती थीं। लेकिन, इस बार लॉकडाउन के चलते शायद यह सब देखने को नहीं मिलेगा। इसके बावजूद इस पवित्र माह के स्वागत को लोगों का उत्साह और उल्लास चरम पर है। कोरोना संक्रमण से बचाव और लॉकडाउन के पालन के लिए उलेमाओं ने रमजान में घर पर ही इबादत करने की अपील की है।
शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी ने लोगों से अपील की है कि सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए घर में ही नमाज अदा करें। कोरोना के खात्मे के लिए भी दुआ करें। उन्होंने बताया कि 23 को चांद दिखा तो 24 को पहला रोजा होगा, जबकि 24 को चांद दिखने पर 25 से रोजे रखे जाएंगे।
परचून की दुकानों में मिलेगा सामान
रमजान आते ही खजला और फैनी की दुकानें सजने लगती हैं। रोजेदार इफ्तार में बड़े चाव से खजला और फैनी को दूध में मिलाकर खाते हैं। बच्चों को यह विशेष पसंद है। लेकिन, इस बार लॉकडाउन के चलते प्रशासन ने दुकानें न सजाने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में लोगों को नजदीकी परचून की दुकान में ही सेवई, फैनी, खजला, खजूर आदि उपलब्ध होगा। उधर, लोगों से अपील की गई है कि घरों में रहकर खुदा की इबादत करें।