कोरोना संकट के चलते ठप पड़ी चारधाम यात्रा का बुधवार से खोल दी गई, लेकिन पहले दिन यात्रियों में उत्साह नजर नहीं आ रहा है। किसी भी यात्री ने सुबह नौ बजे तक यात्रा के लिए पंजीकरण भी नहीं कराया।
राज्य के निवासियों के लिए खोली गई यात्रा के लिए सभी तैयारियां पूरी करने का दावा है। हालांकि, चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की वेबसाइट खोल दी गई है, लेकिन मंगलवार को एक भी पंजीकरण नहीं हुआ। उधर, बोर्ड का दावा है कि यात्रा के मद्देनजर बदरीनाथ में 600 और केदारनाथ में 50 यात्रियों के ठहरने का इंतजाम किया गया है।
साथ ही गंगोत्री व यमुनोत्री में यात्रा को लेकर चल रहे विरोध के मद्देनजर दोनों धामों पर नजर रखी जा रही है। केंद्र सरकार से धार्मिक स्थलों को खोलने की छूट मिलने के बाद उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड ने बीती 10 जून को चमोली, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी जिलों के लोगों को अपने-अपने क्षेत्र के धामों में जाने की अनुमति दी थी। यह व्यवस्था 30 जून तक के लिए की गई थी।
अब सरकार और बोर्ड के मध्य बनी सहमति के अनुरूप एक जुलाई से केवल राज्य के निवासियों के लिए चारधाम यात्रा खोली गई है। यात्रा के लिए देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है। साथ ही श्रद्धालुओं को राज्य का निवासी होने का का प्रमाण भी देना है। इसके अलावा सुरक्षित शारीरिक दूरी के अनुपालन और मास्क पहनना भी अनिवार्य किया गया है।
इस बीच यात्रियों के पंजीकरण के मद्देनजर देवस्थानम बोर्ड ने मंगलवार को अपनी वेबसाइट खोल दी, लेकिन इसे लेकर कोई खास उत्साह नजर नहीं आया। मंगलवार शाम संपर्क करने पर बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमन ने बताया कि वेबसाइट पर अभी किसी भी यात्री ने पंजीकरण नहीं कराया।
बोर्ड के सीईओ के मुताबिक बदरीनाथ व केदारनाथ धाम में सीमित संख्या में यात्रियों के ठहरने और भोजन का इंतजाम किया गया है। गढ़वाल मंडल विकास निगम के कक्षों के साथ ही होटल व निजी धर्मशालाओं में यह व्यवस्था की गई है। बदरीनाथ में छह सौ और केदारनाथ में 50 यात्री रात्रि विश्राम को रुक सकते हैं।
उन्होंने बताया कि यात्रा मार्ग व पैदल मार्गों पर स्थित होटल, ढाबों के संचालकों को भी इन्हें खोलने की अनुमति दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि गंगोत्री व यमुनोत्री में तीर्थ पुरोहित यात्रा का विरोध कर रहे हैं। इसे देखते हुए वहां स्थिति पर नजर रखी जा रही है। यदि कोई वहां यात्रा पर जाना चाहता है तो उसके लिए व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाएगी।
नहीं हुई कोई बुकिंग
तीर्थनगरी ऋषिकेश को चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार माना जाता है। यहां से संयुक्त रोटेशन व टैक्सी-मैक्सी सेवा के जरिये यात्री चारधाम यात्रा को जाते हैं। मगर, बुधवार को पहले दिन सुबह नौ बजे तक चारधाम यात्रा को लेकर कोई बुकिंग अथवा इंक्वायरी तक नहीं आई है।
इस वर्ष मार्च माह में कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन घोषित हो गया था। जिससे चार धाम यात्रा शुरू ही नहीं हो पाई। मई और जून माह में चार धाम यात्रा चरम पर होती थी। मगर, इस बार यात्रा के नाम पर चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ है। एक जुलाई से चारों धामों को राज्य के निवासियों के दर्शनार्थ खोल दिया गया है।
यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है। पंजीकरण के पश्चात ही श्रद्धालु धामों की यात्रा कर सकते हैं। मगर, यात्रा को लेकर अभी तक कोई उत्साह लोगों में नहीं है। ऋषिकेश से चार धाम यात्रा संचालित करने वाली संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति के प्रशासनिक अधिकारी बृज भानु प्रताप गिरी ने बताया कि अभी तक एक भी यात्री ने यात्रा को लेकर पूछताछ तक नहीं की है। संयुक्त रोटेशन पूरी तैयारी में है।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा जारी नियम के अनुसार आधी क्षमता पर वाहनों को संचालित किया जाएगा। इसके अलावा यात्रियों से दोगुना किराया लिए जाने की व्यवस्था है। उधर, गढ़वाल मंडल टैक्सी मालिक एवं चालक एसोसिएशन के अध्यक्ष विजयपाल रावत ने बताया कि बुधवार को चार धाम यात्रा के संबंध में कोई भी बुकिंग नहीं आई है
उत्तरकाशी में नहीं हुई विशेष तैयारी
चारधाम यात्रा को लेकर सीमांत जनपद उत्तरकाशी में विशेष तैयारियां नहीं की है। यात्रा के लिए देवस्थानम बोर्ड की ओर से ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई। लेकिन, सुबह तक अन्य जनपदों से कोई यात्री गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन के लिए नहीं पहुंचा।
पुरोहित उठा रहे सवाल
गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थपुरोहित कोरोना संक्रमण दौर में यात्रा के औचित्य पर सवाल उठा रहे हैं। पुरोहितों का कहना है कि चारधाम की यात्रा पर जो यात्री आते हैं। वे यात्रा विधान के लिए आते हैं। धामों में यात्रा की एक अलग विधान की प्रक्रिया है। वहीं गंगोत्री और यमुनोत्री में एक भी होटलों और एक भी दुकान नहीं खुली है।
गंगोत्री में प्रशासन का दावा है कि अगर कोई यात्री दर्शन के लिए आता है, तो उसे गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस में ठहराया जाएगा। वहीं, यमुनोत्री में अभी तक डंडी-कंडी संचालन की व्यवस्था भी नहीं हुई है। साथ ही उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए सार्वजनिक वाहन सेवा संचालित नहीं हुई है।