भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में 25 जून को हमेशा काली तारीख के तौर पर याद किया जाएगा। इसी दिन साल 1975 में कांग्रेस की तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी। आज इसके 45 साल पूरे हो गए हैं। इसे लेकर भाजपा नेता और गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी में अभी भी आपातकाल की मानसिकता बनी हुई है। अमित शाह ने ट्वीट करके कहा, ‘इस दिन, 45 साल पहले सत्ता के लिए एक परिवार की सत्ता के भूख ने आपातकाल लागू कर दिया। रातोंरात राष्ट्र को जेल में बदल दिया गया। प्रेस, अदालतें, बोलने की आजादी … सब खत्म हो गए। गरीबों और निचले तबके के लोगो पर अत्याचार किया गया।’
शाह ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘लाखों लोगों के प्रयासों के कारण, आपातकाल हटा लिया गया था। भारत में लोकतंत्र बहाल हो गया, लेकिन कांग्रेस में नहीं। एक परिवार के हित पार्टी और राष्ट्र के हितों पर हावी थे। यह खेदजनक स्थिति आज भी कांग्रेस में है! सीडब्ल्यूसी की हालिया बैठक के दौरान, वरिष्ठ सदस्यों और नए सदस्यों ने कुछ मुद्दों को उठाया. लेकिन उन्हें चुप करा दिया गया। पार्टी के एक प्रवक्ता को बिना सोचे समझे बर्खास्त कर दिया गया। दुखद सच्चाई यह है कि कांग्रेस में नेता घुटन महसूस कर रहे हैं। भारत के विपक्षी दलों में से एक के तौर पर, कांग्रेस को खुद से पूछने की आवश्यकता है: आपातकाल की मानसिकता क्यों बनी हुई है? ऐसे नेता जो एक वंश के नहीं हैं, बोलने में असमर्थ क्यों हैं? कांग्रेस में नेता क्यों निराश हो रहे हैं? नहीं तो लोगों के साथ उनका संबंध और कम होता जाएगा।
इससे पहले भाजपा ने इसे लेकर गुरुवार को एक वीडियो शेयर किया है। इसा शीर्षक है- 25 जून 1975, आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्याय। पार्टी के अध्यक्ष जेपी ने नड्डा ने ट्वीट करके लिखा है, ‘भारत उन सभी महानुभावों को नमन करता है, जिन्होंने भीषण यातनाएं सहने के बाद भी आपातकाल का जमकर विरोध किया। ये हमारे सत्याग्रहियों का तप ही था, जिससे भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों ने एक अधिनायकवादी मानसिकता पर सफलतापूर्वक जीत प्राप्त की।’