भारत को चौतरफा घेरने में जुटे नेपाल ने बाढ़ के खतरे के बीच वाल्मीकि बैराज पर बैरियर बना भारतीय इंजीनियरों की आवाजाही पर रोक लगा दी। ऐसा पहली बार हुआ कि इनकी आवाजाही पर प्रतिबंधित लगाया गया हो। इसको लेकर जब भारत ने दबाव बनाया तो नेपाल ने भारतीय इंजीनियरों को बैराज के निरीक्षण की अस्थाई अनुमति प्रदान की। हालाकि स्थाई समाधान न निकलने से यूपी-बिहार में मंडरा रहे बाढ़ के खतरे का स्थाई निदान नहीं निकाला जा सकता।
नेपाल के इस रवैये के चलते इंजीनियरों को वहां काम करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गंडक बैराज पर ही बिहार के सिंचाई विभाग का स्टोर रूम भी है, जहां बाढ़ से निपटने के जरूरी उपकरण रखे गए हैं। बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने भी नेपाल की इस हरकत पर चिंता जताई है। गंडक बैराज के मरम्मत, अनुरक्षण व संचालन की पूरी जिम्मेदारी बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग की है। इससे पहले लॉकडाउन के बहाने नेपाल ने अपने क्षेत्र में गंडक नदी पर बने चारो तटबंधों (ए गैप, बी गैप, लिंक बांध व नेपाल बांध) के मरम्मत कार्य पर रोक लगाई। इसके चलते इस वर्ष इन पर मरम्मत कार्य ही नहीं हुए। मुख्य पश्चिमी गंडक नहर की मरम्मत कार्य की भी अनुमति नहीं दी। बिना मरम्मत के ही पानी छोडऩा पड़ा।
यह है वाल्मीकि बैराज और उससे खतरा
वाल्मीकि बैराज में 36 फाटक लगे हैं, जिसमें 18 नेपाल व 18 बिहार की सीमा में पड़ते हैं। बैराज से अधिकतम पानी डिस्चार्ज की क्षमता 8.5 लाख क्यूसेक है। ङ्क्षसचाई विभाग के मुताबिक बैराज से चार लाख क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज होने पर भी नेपाल के तटबंधों को कोई खतरा नहीं होगा। अभी बैराज से पानी का डिस्चार्ज 90 हजार से 1.50 लाख क्यूसेक के बीच है। जब यह डिस्चार्ज 5.50 लाख क्यूसेक के आसपास पहुंचेगा तो नेपाल के बांध समेत महराजगंज व कुशीनगर के अधिकांश हिस्से बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे।
नेपाल के अधिकारियों से लगातार वार्ता की जा रही है। बैराज पर जाने के लिए बिहार के इंजीनियरों को अनुमति मिल गई है। नेपाल के तटबंधों की लगातार निगरानी की जा रही है। यूपी-बिहार में बाढ़ की स्थिति को रोकने के हर संभव उपाय किए जा रहे हैं। -एके सिंह, प्रमुख अभियंता (बाढ़), सिंचाई एवं जल संसाधन उप्र।