बदरीनाथ और केदारनाथ पर टिहरी राजपरिवार और बीकेटीसी इस पर निर्णय लेगी

उत्तराखंड के चार धाम में से बदरीनाथ व केदारनाथ धाम के कपाट खोलने के दौरान रावलों के अनुपस्थित रहने पर टिहरी राजपरिवार और बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) इस पर निर्णय लेगी। वहीं, प्रदेश सरकार ने बदरीनाथ व केदारनाथ के रावलों को उत्तराखंड तक सड़क मार्ग से लाने के लिए केंद्र से अनुमति मांगी है। इसके लिए मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रलय को पत्र भेजा गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र से इसके लिए अनुमति मिल जाएगी। हालांकि, इस बारे में 19 अप्रैल को एक बार फिर मंथन किया जाएगा। उधर, सरकार की यह पूरी कोशिश है कि दोनों ही धामों के रावल तय वक्त पर पहुंच जाएं। इसे लेकर व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं।

प्रदेश के चार धाम यानी बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के कपाट इसी माह खुलने हैं। इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण के मद्देनजर घोषित लॉकडाउन के कारण इनके कपाट खुलने को लेकर असमंजस बना हुआ है। कारण यह कि परंपरा के अनुसार इन धाम के कपाट खोलने के दौरान रावलों का रहना जरूरी होता है। बदरीनाथ के रावल इस समय दक्षिण में तो केदारनाथ के रावत महाराष्ट्र में हैं। लॉकडाउन के चलते इनके कपाट खुलने के समय पहुंचने पर संशय बना हुआ है।

गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में इस पर चर्चा हुई। इसकी जानकारी देते हुए शासकीय प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि पहले भी पांच बार ऐसे अवसर आएं हैं, जब कपाट खुलने के समय रावल नहीं पहुंचे पाए। ऐसे में टिहरी राज परिवार के पास यह अधिकार है कि या तो वह तिथि आगे बढ़ा सकता है अथवा अपने किसी प्रतिनिधि को कपाट खोलने के लिए नामित कर सकता है। केदारनाथ में भी यह व्यवस्था है। वहां भी किसी अन्य को नामित किया जा सकता है। कोरोना के कारण रावलों को भी नियमानुसार क्वारंटाइन किया जाना है तो इन्हें होम क्वारंटाइन किया जा सकता है।

नौ अन्य मंदिरों पर भी बीकेटीसी निर्णय लेगी

प्रदेश में नौ ऐसे अन्य मंदिर हैं जिनके कपाट भी चारधाम के कपाट के साथ खोलने की पंरपरा है। इनमें आदि केदार, लक्ष्मी मंदिर, नैना देवी मंदिर, उर्वशी मंदिर, माता मूर्ति मंदिर, व्यास गुफा, गणोश गुफा, हनुमान मंदिर व आदि बद्री शामिल हैं। इनके कपाट खोलने के संबंध में भी बीकेटीसी को निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया है।

अभी बीकेटीसी ही रहेगी अस्तित्व में

इस वर्ष चारधाम यात्रा में बीकेटीसी ही अस्तित्व में रहेगी। चारधाम देवस्थानाम बोर्ड के विनियम न बनने के कारण मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय लिया है। इस कारण अभी पुरानी व्यवस्थाएं ही बरकरार रहेंगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *