*महाराज ने केन्द्र से जिम कॉर्बेट सहित सभी सिद्ध पीठों को खोलने का किया आग्रह*
*रिवर राफ्टिंग गाईडों को मिलेगी 5000 रूपये की आर्थिक सहायता*
*रिवर राफ्टिंग एवं एरो स्पोर्टस फर्मों का रिनिवल शुल्क माफ*
देहरादून।(प्रयास उतराखंड)कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए हुए देशव्यापी लॉकडाउन से उत्तराखंड के पर्यटन व्यवसाय सहित विकास कार्यों पर भी इसका व्यापक असर पड़ा है। राज्य में पर्यटन व्यवसाय एवं अन्य विकास कार्यों को पुनः पटरी पर लाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत है।
उत्तराखंड के पर्यटन, धर्मस्व, संस्कृति एवं सिंचाई मंत्री श्री सतपाल महाराज ने केन्द्र सरकार से जिम कार्बेट सहित कैलाश और सभी सिद्ध पीठों को आम जनमानस के लिए खोलने का अनुरोध किया है।
कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज ने राज्य में पर्यटन, तीर्थाटन और सिंचाई आदि कार्यों में तेजी लाने के लिए होटल, रेस्टोरेन्ट, ढाबों आदि व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को विद्युत बिल के फिक्सड चार्ज में छूट देने का ऐलान करते हुए पर्यटन को पटरी पर लाने के प्रयास शुरू कर दिये हैं। इस समय प्रदेश के होटलों में 3600 विद्युत कनेक्शन हैं जबकि 20,000 रेस्टोरेन्ट और ढाबों में निर्गत किये गये हैं। इन सभी 23600 विद्युत कनेक्शनों पर फिक्सड चार्ज में छूट दिये जाने पर अप्रैल से जून 2020 तीन माह तक लगभग 6 करोड़ रुपये का व्ययभार सरकार पर पड़ेगा।
श्री महाराज ने उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद में पंजीकृत सभी 560 रिवर राफ्टिंग गाईडों को भी प्रति गाईड 5000 रूपये की आर्थिक सहायता दिये जाने की बात कही है। श्री महाराज ने कहा कि राज्य में पर्यटन व्यवसाय को सुचारू करने के लिए रिवर राफ्टिंग एवं एरो स्पोर्टस फर्मों से वर्ष 2020-21का रिनिवल शुल्क नहीं लिया जाएगा। ज्ञात हो कि वर्तमान में रिवर राफ्टिंग फर्म से पर्यटन विभाग 9118 रूपये तथा वन विभाग 3038 रूपये प्रति वर्ष शुल्क लेता है। जबकि प्रत्येक ग्लाईडर से 7500 रूपये प्रति वर्ष शुल्क लिए जाता है। इस समय राज्य में एरो स्पोर्टस की कुल 18 यूनिटें हैं जिसमें 44 ग्लाईडर हैं।
श्री सतपाल महाराज ने आशा
व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण से बाहर आ चुके ग्रीन जोन वाले क्षेत्रों में आने वाले समय में अन्य हितधारकों को भी पर्यटन की दृष्टि से और अधिक छूट दिये जाने का प्रयास किया जायेगा।
*निशीथ सकलानी,*
*मीडिया प्रभारी, श्री सतपाल महाराज माननीय मंत्री पर्यटन, धर्मस्व, संस्कृति एवं सिंचाई उत्तराखंड।।