उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह बयान महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे को नहीं रुचा, जिसमें योगी ने कहा है कि अन्य राज्य अब यूपी सरकार की अनुमति के बाद ही वहां के श्रमिकों को वापस बुला सकेंगे। राज ठाकरे ने इसका जवाब देते हुए ट्वीट किया है कि यदि ऐसा है तो उत्तर प्रदेश से यहां आनेवाले श्रमिकों को भी हमसे, महाराष्ट्र सरकार से और यहां की पुलिस से अनुमति लेनी पड़ेगी।
यूपी श्रमिकों का थाने में हो रजिस्ट्रेशन
राज ठाकरे ने अपने ट्वीट में कहा है कि महाराष्ट्र सरकार को योगी आदित्यनाथ के इस बयान का गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए। भविष्य में जब भी प्रवासी महाराष्ट्र में प्रवेश करें, तो उनका रजिस्ट्रेशन पुलिस थाने में किया जाना चाहिए। इसमें उनकी पहचान, उनका पूरा विवरण लिया जाना चाहिए। ये सारी चीजें मिलने के बाद ही उन्हें महाराष्ट्र में प्रवेश मिलना चाहिए। महाराष्ट्र सरकार को इन नियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिए।
श्रमिकों को हो सिर्फ गृह राज्य में मतदान का अधिकार
अपने अगले ट्वीट में राज ठाकरे ने कहा कि उत्तर प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों को मतदान का अधिकार सिर्फ गृह राज्य में होना चाहिए। कानूनन एक मतदाता एक ही जगह मतदान का अधिकार रख सकता है। इस तथ्य की जानकारी मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के साथ-साथ अन्य राज्यों को भी होनी चाहिए। बता दें कि योगी आदित्यनाथ ने श्रमिकों के लिए माइग्रेशन कमीशन बनाने की घोषणा करते हुए कहा था कि कुछ राज्यों ने उत्तर प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों के लिए उचित व्यवस्था नहीं की। इसी वजह से उन्हें वहां से पलायन करना पड़ा है।
कांग्रेस ने बोला योगी पर हमला
योगी और राज ठाकरे के विवाद में कूदते हुए महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने भी जहां एक ओर प्रवासी श्रमिकों का पक्ष लिया है, वहीं योगी पर हमला भी बोला है। उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिक देश के नागरिक हैं। उन्हें देश में कहीं भी काम करने के लिए अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए सावंत ने उन्हें अक्षम और हृदयहीन मुख्यमंत्री करार दिया। उन्होंने कहा कि आदित्यनाथ के पास उत्तर प्रदेश को बेहतर बनाने के लिए दूरदृष्टि नहीं है, जिससे वहां के लोगों को पलायन करने की जरूरत ही न पड़े।
इस प्रकार की चर्चाएं होनी ही नहीं चाहिए
महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री एवं प्रमुख उत्तर भारतीय नेता कृपाशंकर सिंह के अनुसार कोरोना संकट के दौरान इस प्रकार की चर्चाएं होनी ही नहीं चाहिए। किसी राज्य में काम करने के लिए जाने पर रोकटोक भारतीय संविधान में नहीं है। इस समय तो सभी को मिलकर एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए और श्रमिकों के हित में सोचना चाहिए।