रविवार को कैराना में हुई किसान महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन(भाकियू) राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि कहा कि 13 महीने के आंदोलन के बाद किसानों की बड़ी जीत हुई है। हमने भारत सरकार को नहीं हराया है। हमनें अपने पंचों के समझौते को स्वीकार किया है। इस आंदोलन में ना कोई हारा और ना ही कोई जीता। उन्होंने कहा कि सरकार समझौता को लागू करने के लिए काम करे। हमें पंजाब के किसानों से व्यवस्थित आंदोलन करने की सीख लेनी चाहिए।कैराना में पानीपत बाईपास पर हुई भाकियू की महापंचायत में टिकैत ने कहा कि कैराना में महापंचायत को लेकर कई लोगों ने सवाल किया।
इसका जवाब है कि कैराना की सीमा हरियाणा से लगी हुई है। बड़ी संख्या में किसानों से सस्ती दर पर धान-अनाज आदि खरीदकर गलत तरीके से यहीं से हरियाणा ले जाया जाता है। हम 50 कुंतल धान नहीं बेच सकते, लेकिन व्यापारी 25 से 30 हजार कुंतल बेचता है। एमएसपी की लड़ाई जारी रहेगी। इस आंदोलन ने किसानों की एकता मजबूत की। अलग-अलग भाषा और क्षेत्र के किसान साथ रहे। एक-दूसरे के विचार भी साझा किए गए। यहां भी उद्योग लगें ताकि विकास हो और रोजगार मिले। हरियाणा के किसान 35 रुपये प्रति हार्सपावर से बिल अदा करते हैं और उत्तर प्रदेश में 175 रुपये देना पड़ता है। बिजली के दाम हरियाणा के बराबर किए जाएं।
योगी आदित्यानाथ हरियाणा के मुख्यमंत्री से कमजोर नहीं हैं। हम दोनों में प्रतिस्पर्धा कराएंगे और लखनऊ जाकर बात करेंगे। दोनों प्रदेशों में भाजपा की सरकार है। चार हजार करोड़ रुपये गन्ना भुगतान बकाया है। यहां पर गन्ने का दाम भी कम है। किसानों पर दर्ज मुकदमों के संबंध में भी बात की जाएगी। एनजीटी के नाम पर दस साल पुराने ट्रैक्टर बंद कराने के मुद्दों पर भी बात करेंगे। उन्होंने कहा कि कैराना में पलायन की कोई बात नहीं है। अगर है तो यह सिर्फ सरकारी प्लान है। उन्होंने लोगों से अपील की कि किसी के बहकावे में नहीं आएं और मेल-जोल के साथ रहें। हमें चुनाव से कुछ लेना देना नहीं है। सरकार के काम के हिसाब से जनता अपने आप सोचेगी। आचार संहिता लगने में अभी कुछ समय है। सरकार किसानों समेत सभी के हित में योजना बनाए। महापंचायत की अध्यक्षता खुरगान गांव के युसुफ जंग मुखिया ने की।