सरकार ने लॉकडाउन के दौरान काम नहीं कर पा रहे कर्मचारियों को पूरा वेतन देने का पुराना निर्देश वापस ले लिया है। देश में 25 मार्च से लॉकडाउन है और गृह सचिव ने लॉकडाउन लगाये जाने के कुछ ही दिन बाद 29 मार्च को जारी दिशानिर्देश में सभी कंपनियों व अन्य नियोक्ताओं को कहा था कि वे प्रतिष्ठान बंद रहने की स्थिति में भी महीना पूरा होने पर सभी कर्मचारियों को बिना किसी कटौती के पूरा वेतन दें। सरकार के इस कदम से कंपनियों और उद्योग जगत को राहत मिलने का अनुमान है।
बता दें कि देश में कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए 25 मार्च से लॉकडाउन का यह चौथा चरण है। इसे अभी तब तीन बार बढ़ाया जा चुका है। गृह सचिव अजय भल्ला ने लॉकडाउन के चौथे चरण को लेकर रविवार को नए दिशानिर्देश जारी किए। इसमें कहा गया है कि जहां तक इस आदेश के तहत जारी परिशिष्ट में कोई दूसरा प्रावधान नहीं किया गया हो वहां आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 10(2)(1) के तहत राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा जारी आदेश 18 मई 2020 से अमल में नहीं माने जाएं।
रविवार के दिशानिर्देश में छह प्रकार के मानक परिचालन प्रोटोकॉल का जिक्र है। इनमें से ज्यादातर लोगों की आवाजाही से संबंधित हैं। लेकिन इसमें केंद्रीय गृह सचिव द्वारा जारी 29 मार्च का आदेश शामिल नहीं है, जिसमें सभी नियोक्ताओं को निर्देश दिया गया था कि किसी भी कटौती के बिना नियत तिथि पर श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान करें, भले ही वाणिज्यिक इकाई लॉकडाउन अवधि के दौरान बंद हो गई हो।
29 मार्च के आदेश में कहा गया था कि लॉकडाउन के दौरान सभी नियोक्ता, चाहे वह उद्योग में हों या दुकानों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में हों, अपने श्रमिकों के वेतन का भुगतान नियत तिथि पर, बिना किसी कटौती के करेंगे।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को केंद्र सरकार से उन कंपनियों और नियोक्ताओं के खिलाफ एक सप्ताह तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने को कहा था जो लॉकडाउन के दौरान अपने कर्मचारियों को पूरी मजदूरी नहीं दे पा रहे हैं।