हेमंत कनोरिया ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र के माध्यम से हेल्थकेयर इकोसिस्टम को सहयोग देने के लिये निम्नलिखित उपाय सुझाये हैं।
देहरादून-27 अप्रैल 2020- हम सभी कोविड-19 संकट का सामना कर रहे हैं और श्रेई इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड के चेयरमैन हेमंत कनोरिया ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र के माध्यम से हेल्थकेयर इकोसिस्टम को सहयोग देने के लिये निम्नलिखित उपाय सुझाये हैं।
इसकी तुरंत आवश्यकता है कि 1. मौजूदा अस्पताल और स्वास्थ्यरक्षा सुविधाएं दिवालिया न हों। 2. अस्पतालों, नर्सिंग होम्स, स्वास्थ्यरक्षा केन्द्रों, जाँच केन्द्रों, आदि की संख्या को टेली-मेडिसिन की पहुँच और प्रशिक्षण सुविधाओं को बढ़ाने के लिये आवश्यक क्षमता और अवसंरचना निर्मित करने हेतु बढ़ाया जाए।
इसके अलावा घरेलू मांग और पड़ोसी देशों की मांग की पूर्ति में मेडिकल उपकरण के लिये ‘मेक इन इंडिया’ अभियान भी उपयोगी होगा। इस प्रकार, इस सेक्टर को एक लक्षित प्रोत्साहन पैकेज चाहिये, जिसमें निम्नलिखित को कवर किया गया होः
– लॉकडाउन के कारण नगदी के प्रवाह में बाधा के चलते लोन चुकाने में कठिनाई का अनुभव करने वाले सभी मौजूदा स्वास्थ्यरक्षा संस्थाओं (अस्पताल, नर्सिंग होम, जाँच केन्द्र, स्वास्थ्यरक्षा प्रशिक्षण केन्द्र, आदि) के लिये बैंकों, एनबीएफसी और एफआई को भविष्य में नगदी के प्रवाह और कोलेटरल के आधार पर ऐसे लोन की पुनःसंरचना करनी चाहिये और संपत्तियों का वर्गीकरण ‘मानक संपत्तियों’ के रूप में करना चाहिये
– बैंकों, एनबीएफसी और एफआई को स्वास्थ्यरक्षा सुविधाओं के लिये अपने लोन का वर्गीकरण ‘प्राथमिकता क्षेत्र ऋण’ के तौर पर करने का निर्देश देना चाहिये
– बैंकों, एनबीएफसी और एफआई को अगले 30 दिनों के भीतर स्वास्थ्यरक्षा संस्थाओं को अतिरिक्त कार्यगत पूंजी और टर्म लोन सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश दिया जाना चाहिये
– कॉर्पोरेट्स द्वारा अस्पतालों में किये गये किसी भी निवेश या योगदान को कंपनी एक्ट के सेक्शन 135 के अंतर्गत कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) व्यय माना जाना चाहिये और सभी कंपनियों को इस क्लॉज के अंतर्गत अस्पतालों में अधिकतम सीमा तक योगदान देने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये
– बैंकों, एनबीएफसी और एफआई को कंपनी एक्ट के सेक्शन 135 के अंतर्गत अपने लोन को सीएसआर योगदान में बदलने की अनुमति दें
– केन्द्र और राज्य सरकारों को अस्पतालों और जाँच केन्द्रों के लिये विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं में बकाया सारा भुगतान पूर्वसक्रिय तरीके से देना चाहिये। इससे अत्यावश्यक लिक्विडिटी मिलेगी, जो उन्हें इस महामारी से लड़ने में मदद करेगी
– चिकित्सा उपकरणों पर लगने वाले जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से घटाकर तत्काल 5 प्रतिशत करनी चाहिये
– इस महामारी से लड़ने के लिये आवश्यक चिकित्सा उपकरणों (जैसे वेंटिलैटर, मॉनिटर, परीक्षण मशीनें, आदि) पर इम्पोर्ट ड्यूटी को अगले 6 माह तक शून्य रखना चाहिये, ताकि अवसंरचना में तेजी से बढ़त हो।