महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा निकाली जाएगी या नहीं निकाली जाएगी उस पर आज एक बार फिर देश की सर्वोच्च अदालत में एकल बेंच के सामने 11:00 बजे सुनवाई होनी है। ऐसे में आज सुबह से ही जगन्नाथ भक्तों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की तरफ लगी हुई हैं। इतना ही नहीं आज की सुनवाई के दौरान ओडिशा सरकार भी अपना पक्ष रखेगी ऐसे में ओडिशा सरकार सुप्रीमकोर्ट के सामने क्या पक्ष रखती है, उसे लेकर भी लोगों के मन में कौतूहल बना हुआ है।
रविवार देर रात को ओडिशा सरकार के कानून विभाग की तरफ से एक विज्ञप्ति जारी कर कहा गया है कि बिना भक्तों के गजपति महाराज ने जो अनुरोध किया है उसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार सर्वोच्च अदालत में सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखेगी। कानून विभाग ने कहा है कि रिट पिटिशन नंबर 571/ 2020 में 23 जून को रथ यात्रा ना करने के लिए अदालत में 3 लोगों ने आवेदन किया था। 23 जून को व्यक्तिगत दुराव नियम का अनुपालन कर रथयात्रा करने के लिए आवेदनकारियों ने अदालत से निवेदन किया है। इसमें सेवकों एवं पुलिस के जरिए रथ खींचने की अनुमति देने को अनुरोध किया गया है।
राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए कोरोना को अब तक नियंत्रण में रखा हुआ है। धार्मिक यात्रा में भक्तों का जमावड़ा होने से जीवन को आपदा के मुंह में डालने जैसा होगा। हालांकि श्रीमंदिर संचालन कमेटी के अध्यक्ष तथा गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव ने शनिवार को राज्य सरकार को एक पत्र लिखकर कहा है कि बिना भक्तों के इस साल रथयात्रा करने को अनुमति देने के साथ राज्य सरकार कदम उठाए। इसके साथ ही कोरोना महामारी के लिए सतर्कता स्वरूप शारीरिक दुराव की रक्षा करने के लिए सभी प्रकार के कदम उठाने को भी अनुरोध किया है। सुप्रीमकोर्ट में कई लोगों ने भी ऐसी ही याचिका दायर की है। ऐसे में सुप्रीमकोर्ट में आज ओडिशा सरकार अपना पक्ष रखेगी।
गौरतलब है कि 18 जून को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा इस साल नहीं होगी। काफी समय से कोरोना संक्रमण जैसी महामारी के कारण इस साल रथयात्रा होगी या नहीं उस पर अनिश्चितता लगी हुई थी, जिस पर आज सुप्रीमकोर्ट ने सुनवाई कर यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। सुप्रीमकोर्ट के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता में बैठी तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। लोगों की सुरक्षा एवं जनहित के लिए रथयात्रा को इस साल बंद करने की बात न्यायाधीश ने कही थी। सुप्रीमकोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने कहा था कि यदि सुप्रीमकोर्ट रथयात्रा करने की अनुमति देती है तो फिर भगवान जगन्नाथ हमें क्षमा नहीं करेंगे। केवल पुरी नहीं, बल्कि इस साल पूरे ओडिशा में किसी भी जगह पर रथयात्रा नहीं निकाली जाएगी।