मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में अब ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है। योजना की वेबसाइट msy.uk.gov.in जानिये

योजना की वेबसाईट  msy.uk.gov.in  लांच।

28 मई को मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने योजना का शुभारम्भ किया था।

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में अब ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है। योजना की वेबसाइट msy.uk.gov.in को मंगलवार  को लांच कर दिया गया है। मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार श्री रवींद्र दत्त ने बताया मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की वेबसाइट  को उत्तराखंड सरकार के आईटी पार्क स्थित स्टेट डेटा सेंटर में होस्ट किया गया है।

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में ऑनलाईन आवेदन के लिए आवेदक को वेबसाईट पर पंजीकरण करते हुए लाॅग-इन आईडी बनानी होगी। इस आईडी से लाॅग-इन कर अपने नाम, पता, शैक्षिक योग्यता, मोबाईल नम्बर, पैन नम्बर आदि व्यक्तिगत विवरण के साथ ही प्रस्तावित इकाई, उत्पाद/सेवा, निवेश, वित पोषित बैंक आदि का विवरण देना होगा। आवेदन के लिए हिंदी या अंग्रेजी भाषा का विकल्प चुना जा सकता है।

28 मई मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का शुभारंभ किया था। उत्तराखंड के उद्यमशील युवाओं और कोविड-19 के कारण राज्य में लौटे प्रवासी कामगारों को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ये योजना प्रारम्भ की गई है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत कुशल और अकुशल दस्तकारों, हस्तशिल्पियों और बेरोजगार युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। योजना के तहत राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों के माध्यम से लाभार्थियों को ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

एमएसएमई विभाग द्वारा योजना के अन्तर्गत मार्जिन मनी की धनराशि अनुदान के रूप में उपलब्ध कराई जायेगी। विनिर्माण क्षेत्र में परियेाजना की अधिकतम लागत 25 लाख रुपये और सेवा व व्यवसाय क्षेत्र के लिए अधिकतम लागत 10 लाख रूपये होगी।  एमएसएमई नीति के अनुसार वर्गीकृत श्रेणी ए में मार्जिन मनी की अधिकतम सीमा कुल परियोजना लागत का 25 प्रतिशत, श्रेणी बी में 20 प्रतिशत तथा सी व डी श्रेणी में कुल परियोजना लागत का 15 प्रतिशत तक मार्जिन मनी के रूप में देय होगी।  उद्यम के दो वर्ष तक सफल संचालन के बाद मार्जिन मनी अनुदान के रूप में समायोजित की जायेगी। योजना के अन्तर्गत सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों द्वारा परियोजना लागत का 10 प्रतिशत जबकि विशेष श्रेणी के लाभार्थियों को कुल परियोजना लागत का पांच प्रतिशत स्वयं के अंशदान के रूप में जमा करना होगा।

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