आम आदमी पार्टी ने किया उत्तराखण्डियों आस्था का अपमान। जानिए

आम आदमी पार्टी ने अपने आधिकारिक हैंडल से एक ट्वीट किया, जिसमें तीन पर्वतों की तस्वीर के साथ कूड़े के ढेर की तस्वीर भी पोस्ट की गई है। साथ ही लिखा है कि सिक्किम में कंचनजंघा सबसे बड़ा पर्वत है। इसके बाद उत्तराखंड में नंदा देवी और कामेट पर्वत सबसे ऊंचा है। लेकिन गाजीपुर के कचरे के पहाड़ की तस्वीर भी डालकर लिखा है कि इसे भाजपा के एमसीडी ने बनाया है।

आम आदमी पार्टी ने अपने ट्वीट में जिन पर्वतों का जिक्र किया, वो न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए पवित्र हैं बल्कि पूरा देश उन पर गर्व करता है और उन्हें पूजता है। भारत में हिमालय को भी देवता माना गया है, जिसके घर मां पार्वती का जन्म हुआ था। ऐसे में AAP का ये मजाक लोगों को नागवार गुजरा। उत्तराखंड में तो नंदा देवी का विशेष महत्व है।

भारतीय जनता युवा मोर्चा की राष्ट्रीय मीडिया सह-प्रभारी नेहा जोशी ने कहा कि AAP और अरविन्द केजरीवाल ने हमेशा उत्तराखंड और यहां के निवासियों का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि नंदा देवी उत्तराखंड की इष्ट देवी हैं और उनके अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने केजरीवाल से इस मामले में माफ़ी मांगने को कहा।

नंदा देवी पर्वत की तुलना दिल्ली के कूड़े के ढेर से करने के बाद सोशल मीडिया पर हो रहे विरोध के बाद आम आदमी पार्टी ने अपने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया है। गौरतलब है कि कुछ ही हफ्तों पहले आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल ने यह भी घोषणा की थी कि वह उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी।

आम आदमी पार्टी के इस ट्वीट के बाद उतराखंडियो में खासा बबाल मचा हुआ है। पुरोहित समाज से सम्बन्ध रखने वाली संस्था “पुरोहित जनकल्याण समिति” का कहना है कि आम आदमी पार्टी का यह कृत्य कतई माफी लायक नही है। हमारी इष्ट देवी नन्दा देवी पर्वत श्रंखला की तुलना गाजीपुर के कूड़े के ढेर से करके केजरीवाल ने बता दिया है कि उनकी पार्टी की विचारधारा भी कूड़े का ढ़ेर है !

उत्तराखंड में ये माँ नंदा देवी का अपमान करके किस वर्ग को खुश करना चाहते हैं ये भी विचारणीय प्रश्न है। “पुरोहित जनकल्याण समिति” के सदस्यों द्वारा केजरीवाल को बिना शर्त माफ़ी मांगने के लिए कहा गया है। पुरोहित जन कल्याण समिति माफी ना मांगने की स्तिथि में कानूनी विकल्प पे भी विचार कर रही है और साथ ही साथ इस विषय में अन्य संगठनो, समाज सेवी संस्थाओं और सांस्कृतिक संगठनो से भी संपर्क किया जा रहा है। इस मुद्दे पर राजनीती से ऊपर उठकर सभी को इस बात का विरोध करना चाहिए।

भारत वर्ष में पर्वतों को देवता की तरह पूजा जाता है। और फिर हिमालयी क्षेत्र तो न सिर्फ उत्तराखंड के लिये पवित्र है बल्कि समूचे देश के लिए गौरव का प्रतीक भी है। इसी हिमालयी श्रृंखला की एक चोटी नंदा देवी को लेकर अरविन्द केजरीवाल की पार्टी ने एक व्यंग में शामिल किया है। हाल ही में आप ने ईस्ट दिल्ली गाजीपुर में मौजूद कूड़े के ढेर की तुलना तीन चोटियों कंचनजंघा, नंदा देवी और कामेट से की है। जिसमें कहा गया कि भाजपा ने कुड़े इक्कट्ठा कर गाजीपुर में कंचनजंघा, नंदा देवी और कामेट पर्वत बनाये हैं।

आप की इस टिप्पणी से उत्तराखंड के जनमानस को ठेस पहुंची है। देवभूमि के लोग उद्वेलित हैं। दरअसल, नंदादेवी उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल की सबसे ऊँची (25643 फीट) चोटी है। इसके बाद दूसरा नंबर कामेट पर्वत (25446 फीट) का है। ये चोटियां उत्तराखंड के लिये गौरव का प्रतीक भी है। फिर ये भी तो सच है कि हिमालय की इन चोटियों से ही तो सभी जीव-जंतुओं को प्राणवायु और जल मिलता है। पुराणों में जिक्र है कि देवी पार्वती का जन्म हिमालयी क्षेत्र में हुआ था। उनका नाम नंदा भी है इसीलिए गढ़वाल की सबसे ऊंची चोटी का नाम नंदा रखा गया।

जाहिर है ! जिन चोटियों को देवताओं की तरह पूजा जाता हो भला उनकी कूड़े के पहाड़ से तुलना को यहां का जनमानस कैसे स्वीकार करेगा। आप की ओर से नंदादेवी पर्वत पर की गई इस संवेदनहीन टिप्पणी से साफ है कि उत्तराखंड का मिजाज ऐसी पार्टी से कतई मेल नहीं खाता जो जनभावना की कद्र न करती हो। और फिर दिल्ली और उत्तराखंड में जमीन-आसमान का फर्क भी तो है। पहाड़ के लोग मेहनतकश होते हैं। मुफ्तखोरी उनके खून में नहीं होती। बिजली, पानी और वाई-फाई मुफ्त में देने का नारा यहां नहीं चलने वाला। मुफ्त की सुविधाएं लेकर अपने राज्य को कंगाल बनाने की बात तो कोई भी उत्तराखंडी सोच भी नहीं सकता। फिर ऐसे लोगों को कैसे उत्तराखंड की बागडोर सौंपी जा सकती है जो देवभूमि को जानते-पहचानते तक नहीं। इधर, जनता भी ये सवाल पूछने को तैयार बैठी है कि राज्य आंदोलन और इसके निर्माण में आप की भागेदारी है क्या ?

धन्यवाद- विचार एक नई सोच

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