असामान्य उतार-चढ़ाव के साथ मानसून अब अंतिम चरण में पहुंच गया है। बारिश के आखिरी दौर के साथ मानसून के अगले सप्ताह तक विदा होने के आसार हैं। इस बार मानसून ज्यादातर जिलों में रूठा रहा। हालांकि, कुछ जिले ऐसे भी रहे, जहां बारिश आफत बनी रही। खासकर पिथौरागढ़, बागेश्वर और चमोली में बारिश के कारण दुश्वारियां बढ़ गईं। अतिवृष्टि और भूस्खलन से इस सीजन कई मौत भी हुईं। बागेश्वर जिले में इस बार अब तक सामान्य से करीब ढाई गुना अधिक बारिश दर्ज की गई, जबकि, उत्तरकाशी, चंपावत और पौड़ी इस बार बारिश को तरसते रहे।
मौसम विभाग के मानकों के अनुरूप हर साल एक जून से 30 सितंबर तक के समय को मानसून सीजन माना जाता है। प्रदेश में सामान्यत: 20 जून के बाद मानसून सक्रिय होता है। इससे पहले प्री-मानसून शावर का क्रम बना रहता है। इस बार भी 23 जून को मानसून ने प्रदेश में दस्तक दे दी थी। हालांकि, बात करें मानसून सीजन की तो एक जून से 15 सितंबर तक प्रदेश में सामान्य से 18 फीसद कम बारिश दर्ज की गई है। प्रदेश में इस बार मानसून की बारिश पॉकेट्स में हुई।
कुछ जिलों में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई तो कई जगह औसत से आधी ही बारिश रिकॉर्ड की गई। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम ङ्क्षसह ने बताया कि मानसून मध्य भारत में अधिक सक्रिय है। अरब सागर से उठने वाले प्रसार का रुख हिमालय की ओर नहीं रहा। इससे यहां बारिश कम रही है। हो सकता है कि इस बार मानसून तय समय से पहले विदा हो जाए। प्रदेश में भी सामान्यत: सितंबर के अंतिम सप्ताह में ही मानसून लौटता है। इस बार इसमें दो से चार दिन का अंतर आ सकता है।
अनियमित रहा बारिश का क्रम
बीते 23 जून को मानसून ने प्रदेश में दस्तक दी थी। कुमाऊं से गढ़वाल पहुंचने में मानसून को चार दिन का समय लगा। इसके बाद जब मानसून पूरे प्रदेश में सक्रिय हो गया, तब भी बारिश का क्रम बेहद धीमा रहा। मानसून सक्रिय होने के बाद पहले सप्ताह में प्रदेश में सामान्य से 47 फीसद कम बारिश हुई। दूसरे सप्ताह में मानसून ने कुछ रफ्तार पकड़ी और गढ़वाल के अधिकतर जिलों में बारिश का सिलसिला कुछ तेज हुआ। दूसरे सप्ताह में प्रदेश में सामान्य से 46 फीसद अधिक बारिश हुई। तीसरे और चौथे सप्ताह में मानसून फिर सुस्त हो गया, जिसमें सामान्य से क्रमश: 45 फीसद और 19 फीसद कम बारिश दर्ज की गई। सितंबर में अब तक प्रदेश में सामान्य से 60 फीसद कम बारिश हुई है। इसमें भी देहरादून और बागेश्वर को छोड़ सभी जिलों में 70 फीसद से ज्यादा कमी रही है।