उत्तराखंड़ विधान सभा का इस बार का सत्र एक दिन का होगा। पढ़ें खबर

देहरादून, उत्तराखंड़ विधान सभा का इस बार का सत्र एक दिन का होगा, कोरोना काल में एक दिन का विधानसभा सत्र कई सवालों को भी जन्म देगा। इस दौरान विधानसभा के लिए एक ही दिन में विधेयक सदन के पटल पर रखे भी जाएंगे और पारित भी होंगे। विधानसभा की कार्यसंचालन नियमावली के अनुसार यह सही नहीं होगा।

सत्र पर कोविड के चलते 1053 प्रश्न रहेंगे निरुत्तर

राज्य में विधानसभा सत्र 25 मार्च को हुआ था छह महीने की बाध्यता के चलते सरकार को 25 सितंबर से पहले सत्र आयोजित करना जरूरी था। सरकार ने पहले तीन दिन का सत्र तय किया था लेकिन बाद के हालात में सत्र को लंबी अवधि तक न ले जाना सरकार की मजबूरी भी बन गई। ऐसे में एक दिन का सत्र तय किया गया।

छह माह में सत्र आयोजित करने के साथ ही सरकार के सामने दूसरी मजबूरी भी है। यह मजबूरी है छह माह के अंदर-अंदर अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पारित कराना। इन्हें रिप्लेसमेंट बिल कहा जाता है। विधानसभा की कार्यसंचालन नियमावली 2005 के मुताबिक विधेेयक तीन चरण में पास होंगे।

पहला वे सदन के पटल पर रखे जाएंगे। दूसरे चरण में उनपर विचार होगा और इसके बाद वे पारित होंगे। पहले और दूसरे, तीसरे चरण के बीच एक दिन का अंतर होगा। कारण यह भी है कि चर्चा और पारण के लिए कार्यसमिति का अनुमोदन जरूरी है। एक ही दिन में इन विधेयकों को पारित कराना सवाल उठा सकता है। सरकार की दूसरी समस्या सीधे कोरोना से ही जुड़ी है। प्रदेश में अधिष्ठाता मंडल का गठन नहीं किया गया है। स्पीकर के बाद उपसभापति और उपसभापति के बाद अधिष्ठाता मंडल की राय से सदन चलता है। ऐसे में अब उपसभापति पर आकर गाड़ी अटक गई है। कोरोना के कारण पल-पल बदल रहे हालात इस मामले में मुश्किल खड़ी कर सकते हैं।

पहले बुलाया जा चुका है एक दिन का सत्र

ऐसा नहीं है कि प्रदेश में पहली बार एक दिन का सत्र हो रहा हो। ऐसा पहले भी हुआ लेकिन हालात अलग रहे। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के भाषण के लिए एक दिन का विशेष सत्र आयोजित किया गया था। कोरोना काल में ही 25 मार्च को एक दिन ही सदन चला था और सरकार ने प्रश्नकाल, शून्यकाल से किनारा कर लिया था।

‘यह सही है कि रिप्लेसमेंट बिल को सदन में रखने और पारित करने में समय का अंतर रखना ही होता है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो यह सही नहीं होगा।’
– महेश शर्मा, पूर्व सचिव, विधानसभा

‘यह संकट काल है। इसमें सबके सहयोग से ही सत्र का आयोजन किया जा सकता है। कार्यमंत्रणा समिति में सहमति बनी है। इस हिसाब से ही काम किया जाएगा।’
-रघुनाथ सिंह चौहान, उपसभापति (अब सभापति का भी दायित्व)

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