देश को मिला पहला वर्चुअल विद्यालय, हर तबके को मिलेगी बेहतर शिक्षा :- प्रीती बनर्जी
नई दिल्ली, वैश्विक महामारी के कारण स्कूल – काॅलेज बन्द रहने से शिक्षा के व्यापक प्रसार में कमी न आए इसके लिए ऑनलाइन कक्षाएं चलाए जाने का निर्णय लिया गया था ताकि कोई बाधा ज्ञान के प्रसार और विद्यार्थियों की ज्ञान प्राप्ति को न रोक सके। जहाँ देश भर में ऑनलाइन कक्षाएं चल रही थीं तो वहीं देश की राजधानी में लिटिल अंब्रेला फाउण्डेशन की संस्थापक निदेशक प्रीती बनर्जी द्वारा 15 अगस्त 2020 को देश के पहले वर्चुअल विद्यालय की स्थापना की गयी। यह भारत में पहली बार था कि पूरा का पूरा विद्यालय ही ऑनलाइन उपलब्ध हो गया।
प्रीती बताती हैं कि उन्होंने अपने सहयोगियों व विशेषज्ञों संग उचित सर्वेक्षण और शोध करने के बाद ही वर्चुअल विद्यालय की स्थापना की गयी है। वर्चुअल विद्यालय में ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन करते समय सभी उचित मानदण्डों का अनुपालन किया जाता है। प्रीती ने बताया कि वैश्विक महामारी के दौरान जब कई लोग वित्तीय संकट का सामना कर रहे थे और उनके लिए अपने बच्चों की मोटी स्कूल फीस देना मुश्किल हो जा रहा था तो इस वर्चुअल विद्यालय की स्थापना करने का विचार आया। इस विद्यालय की खास बात यह है कि इसमें कक्षाओं को न के बराबर लागत पर उपलब्ध कराया जाता है, जो लोग सक्षम हैं उनके लिए तीन सौ रुपये की मासिक फीस भुगतान का विकल्प है जोकि वंचित बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने में उपयोग किया जाता है। जो मासिक फीस भुगतान करना चाहते हैं वह भुगतान कर सकते हैं जो नहीं करना चाहते उन्हें भुगतान करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
प्रीती कहती हैं कि हम यही चाहते हैं कि प्रत्येक बच्चा इन कक्षाओं से लाभान्वित हो और वह किसी को भी वन्चित नहीं रखना चाहते। वर्तमान में वर्चुअल विद्यालय में पाँच सौ छात्र – छात्राएं अध्ययनरत हैं जिनको पूरे भारत के प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाता है और उच्च कोटि की शिक्षा प्रदान की जाती है। वर्चुअल विद्यालय में प्रदान की जाने वाली शिक्षा के स्तर में कोई कमी नहीं की गयी है यह सुनिश्चित किया गया है और यह एन.सी.आर.टी. पाठ्यक्रम एवं वैकल्पिक शिक्षा का पालन करता है। कक्षा एक से पाँच की कक्षाएं नियमित आधार पर आयोजित की जाती हैं। बताया कि रुचि रखने वालों के लिए योग, मुखर संगीत, कला और शिल्प कक्षाएं भी प्रदान की जाती हैं। प्रीती ने कहा कि वह चाहती हैं कि प्रत्येक बच्चा अपने रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को पार कर ऊंची उड़ान भरे और इस प्रतिस्पर्धा के समाज से आगे निकल कर जनसरोकार की भावना के साथ निरंतर कार्य करता रहे।