अमर शहीद जसवंत सिंह रावत को श्रद्धांजलि अर्पित करते मसूरी विधायक गणेश जोशी एवं शहीद के परिजन।
देहरादून 17 नवम्बर: मंगलवार को देहरादून के पथरिया पीर पुल के निकट बाबा जसंवत सिंह द्वार पर 1962 के भारत-चीन युद्ध के महानायक जसवंत सिंह रावत की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
उत्तराखण्ड़ के अमर शहीद वीर योद्धा जसवंत सिंह का जन्म पौड़ी जिले के ग्राम बांडयु में हुआ। बाबा जसवंत सिंह 19 वर्ष की आयु में 19 अगस्त 1960 को गढ़वाल यूनिट की चैथी बटालिन में भर्ती हुए। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान अरुणांचल प्रदेश के तवांग जिले में नूरांग में चैथी बटालियन की एक कम्पनी नूरानांग ब्रिज की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया, बाबा इसी में शामिल थे। बटालियन को वापस बुला लिए जाने पर बाबा जसवंत सिंह पहले त्रिलोक और गोपाल सिंह के साथ और फिर दो स्थानीय लड़कियों ही मदद से 300 चीनी सैनिकों से 72 घंटे तक लोहा लेते रहे। आज भी अरूणांचल प्रदेश के नूरांग में बना बाबा के स्मारक स्थल पर उनकी सेना की वर्दी हर रोज प्रेस की जाती है, उनके जूते पालिश किए जाते हैं, उनका खाना भी रोज भेजा जाता है। सेना के रजिस्टर में उनकी डय्टी की एंट्री आज भी होती है और वह प्रमोशन भी पाते हैं। आज बाबा मेजर जसवंत सिंह रावत के नाम से जाने जाते हैं।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम के बाद मसूरी विधायक गणेश जोशी ने बताया कि आने वाली पीढ़ियों के लिए शहीद जसवंत सिंह रावत की अमर गाथा को जीवित रखने के प्रयास से यह शहीद द्वार निर्मित करवाया गया है। उन्होनें कहा कि उत्तराखण्ड की धरती वीरों की जननी है। बाबा जसवंत आज भी राज्य के वीर सपूतों के लिए आदर्श हैं। विधायक जोशी ने कहा कि मैंने संकल्प लिया है कि ऐसे अमर शहीद की याद को आने वाले नस्लों तक जिंदा रखने का प्रयास करूंगा। इसी सोच के साथ पथरियापीर से प्रारम्भ होने वाले कैंट क्षेत्र पर शहीद जसवंत सिंह रावत जी के नाम से शहीद द्वार का निर्माण किया गया है।
इस अवसर पर शहीद के भाई विजय सिंह रावत, भाभी मधु रावत, अमित रावत, पार्षद सत्येन्द्र नाथ, जिला पंचायत उपाध्यक्ष दीपक पुण्डीर, दीपक अरोड़ा, अवनीष कोठारी, अनुज रोहिला, संजय राणा, विजेन्द्र उनियाल आदि उपस्थित रहे।