गैरसैंण। उत्तराखंड की जनभावनाओं का केंद्र रहे गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद अब सरकार ने इसे शीर्ष प्राथमिकता में ले लिया है। ग्रीष्मकालीन राजधानी के औचित्य को सही साबित करने के मद्देनजर आने वाले दिनों में गर्मियों में दो माह सरकार गैरसैंण से चलेगी। इसकी शुरुआत इसी वर्ष से करने की तैयारी है। इसे लेकर मंथन चल रहा है। सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के अनुसार गैरसैंण सरकार की प्राथमिकता है। जनभावनाओं के आधार पर ग्रीष्मकालीन राजधानी को धरातल पर उतारने को पूरी गंभीरता के साथ कदम उठाए जा रहे हैं।
लंबे संघर्ष के बाद नौ नवंबर 2000 को अस्तित्व में आए उत्तराखंड में गैरसैंण राजधानी का मसला हमेशा ही सुर्खियों में रहा, मगर सरकारों ने इसे लेकर अपना स्पष्ट नजरिया जाहिर नहीं किया। लंबे इंतजार के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिछले साल चार मार्च को गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया। इसके बाद ग्रीष्मकालीन राजधानी की अधिसूचना जारी हुई और सरकार ने गैरसैंण में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के दिशा में तेजी से कदम उठाने शुरू किए हैं। ग्रीष्मकालीन राजधानी क्षेत्र में चमोली, अल्मोड़ा व पौड़ी जिलों के करीब 45 किलोमीटर के क्षेत्र को शामिल कर यहां के विकास का खाका खींचा जा रहा है।
बीते रोज ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने की घोषणा की। साथ ही गैरसैंण के नियोजित विकास के दृष्टिगत टाउन प्लानिंग के लिए माहभर के भीतर टेंडर आमंत्रित करने की बात भी कही। इसी माह यहां टाउन प्लानर की नियुक्ति की तैयारी है। अब सरकार की तैयारी है कि ग्रीष्मकालीन राजधानी विधानसभा सत्रों के आयोजन तक सीमित न रहे, बल्कि यहां से सरकार भी चले। सूत्रों के मुताबिक सरकार के स्तर पर यह मंथन चल रहा है कि हर साल गर्मियों में कम से कम दो माह सरकार गैरसैंण में बैठे और यहीं से कामकाज संचालित किया जाए। तैयारी ये भी है कि इसी साल से यह व्यवस्था अमल में आ जाए। इस बात का भी परीक्षण चल रहा है कि वर्तमान में यहां कितने दफ्तर आ सकते हैं।