बरसात के मौसम में बॉडी और खाने पीने की हर चीज में कुछ कैमिकल बदलाव आ जाते हैं। इस मौसम में कीड़ों की संख्या बढ़ जाती है। पानी उतना साफ नहीं रह जाता। इसलिए इस मौसम में तबीयत बिगड़ने के ज्यादा चांस होते हैं। अगर मौसम बदला है तो हमें खाना पीना और उसके तौर तरीकों में भी बदलाव लाना होगा। नहीं तो हम दो तरह से रोगों का शिकार हो सकते हैं, एक जिनके नतीजे तुरंत नजर आ जाते हैं और दूसरे जो देर से रंग दिखाते हैं।
हर मौसम की अपनी एक तासीर होती है। हवा में नमी, तापमान सब बदलता रहता है। आपने गौर किया होगा कि हर मौसम में अलग अलग सब्जियां और फल बाजार में आते हैं। इन्हें ही हम मौसमी सब्जियां और फल कहते हैं।
जला देने वाली गर्म और सूखी हवाओं के बाद आता है बरसात का मौसम। हर ओर इस समय नमी बनी रहती है, हवा भी नमी लिए होती है। बरसात रुकती है तो सूरज पूरे तेज के साथ खिलता है। इससे माहौल में उमस बढ़ जाती है। आपने शायद गौर नहीं किया होगा मगर बरसात के मौसम में पानी के स्वाद और उसकी महक बदल जाती है। इसकी वजह होती है धरती से निकलने वाली गर्म गैंसें। दरअसल भारी गर्मी के तपी हुई धरती के भीतर जब पानी जाता है तो एकदम से गैसें बाहर निकलती हैं। ये गैसें एसिड के नेचर की होती हैं। डॉक्टर गुरजीत के मुताबिक
बारिश में यूं होता है हाजमा कमजोर
गर्मियों के समय में शरीर में जमा हुआ वात दोष इस समय बाहर आता है। वात दोष और माहौल में जो एसिड होता है दोनों मिलकर हाजमे की ताकत पर हमला कर देते हैं। इस मौसम में हाजमा कमजोर हो जाता है और जो लोग पेट के कच्चे होते हैं उनका पेट चलने लगता है। बाकी लोगों में एसिडिटी की शिकायत बढ़ जाती है। इसकी वजह से डायरिया ओर पेचिश के मरीजों की गिनती बढ़ जाती है। पेट फूला फूला रहता है। अब अगर इन हालात में आप गैस बढ़ाने वाली चीजें खाएंगे तो आपकी हेल्थ का तो भगवान ही मालिक होगा। आयुर्वेद ने हर मौसम के हिसाब से खानपान को बांटा हुआ है। उसके नियम लंबी रिसर्च और अनुभव के आधार पर बने हैं। अगर आप बीमारियों से बचना चाहते हैं तो उनका पालन करें।
बरसात में करें इनसे परहेज – मसूर, मक्का, आलू, कटहल, मटर, उड़द, चने की दाल, मोठ जैसी भारी व गैस को बढ़ाने वाली चीजें नहीं खानी हैं। बासी और रूखा खाना भी न खाएं। अगर पत्तेदार सब्जियां बना रहे हैं तो उसके साथ दही का इस्तेमाल करें। रात के समय छाछ व दही का इस्तेमाल न करें। कलौंजी, जैम, मुरब्बा और अचार वगैरा से भी इन दिनों जरा दूरी बना कर रखें। नॉन वेज से जितना हो सके परहेज करें। साफ पानी पर सबसे ज्यादा जोर देना चाहिए। इस मौसम में सबसे पहले पानी में गड़बड़ पैदा होती है।
बरसात का मौसम जब जा रहा हो तो बहुत तेज मसाले वाली वस्तुएं, तली हुई चीजें, बेसन की पकौड़ियां, गर्म और खट्टी तासीर वाली चीजें न खाएं।
बरसात के मौसम में क्या खाएं
ये तो हम आपको पहले ही बता चुके हैं इस मौसम में हाजमे की ताकत कमजोर पड़ जाती है। इसलिए ऐसी चीजें खाएं जो आसानी से पच जाती हों। घीया, तोरी, टमाटर, भिंडी, प्याज और पुदीना शौक से खाएं। फलों में सेब, केला, आडू व अनार खा सकते हैं। मोटे अनाज में चावल, गेहूं, मूंग की दाल, खिचड़ी, दही, लस्सी, सरसों का सेवन करें। अगर चौलाई मिल जाए तो उसे खाने में जरूर शामिल करें। बरसात के मौसम में चौलाई खाना खासतौर पर फायदा पहुंचाता है। चौलाई अच्छी तरह से हजम हो जाती है और इससे गैस की दिक्कत भी घटती है। खाने में धनिया, अदरक, हींग, काली मिर्च डालें।
रहन सहन कैसा हो
इस मौसम में बॉडी पर उबटन लगाना, मालिश करना और सिकाई करना अच्छा रहता है। ढीले-ढाले कपड़े पहनने चाहिएं। कोशिश करें कि जहां आप सोएं वहां नमी न हो। नीम की पत्तियां, लोबान, हींग और गूगल को जलाकर धुंआ करेंगे तो मच्छर और मक्खियां कम परेशान करेंगे। हल्की फुल्की कसरत करें और सैर पर जाएं। बारिश के दिनों में दिन के वक्त सोना नहीं चाहिए और बहुत ज्यादा मेहनत वाला काम भी नहीं करना चाहिए।
हाजमा दुरुस्त कैसे करें
करें आपकी हाजमे की ताकत कमजोर है तो जाहिर तौर पर बरसात के दिनों में ये और कमजोर हो गई होगी और आपको गैस व बदहजमी की शिकायत हो रही होगी। इससे बचने का एक आसान सा उपाय है। खाने से पहले 5 से 10 ग्राम अदरक का टुकड़ा सेंधा नमक के साथ चबा चबाकर खाएं। इससे हाजमे की ताकत बढ़ेगी, भूख खुलकर लगेगी। मगर फिर भी इस बात का ध्यान रखें कि इस मौसम में बारबार खाना या जरूरत से ज्यादा ठीक नहीं है..