देहरादून में रहने वाली देश की पहली दिव्यांग निशानेबाज दिलराज कौर पारिवारिक संकट के कारण मुश्किल हालात में हैं। पिता और भाई की मृत्यु के बाद उनके सामने आर्थिक संकट भी गहरा गया है। मजबूरी में वो अपनी मां के साथ छोटा-मोटा सामान बेच रहीं हैं, जिससे कि उनके घर का खर्च चल सके।
दिलराज कौर ने पैरालंपिक शूटिंग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक रजत और राष्ट्रीय स्तर पर 24 स्वर्ण समेत कई पदक अपने नाम किए हैं। इसके अलावा वर्ल्ड पैरा स्पोर्ट्स में पहली सर्टिफाइड कोच, स्पोर्ट्स एजुकेटर जैसी कई उपलब्धियां उनके साथ जुड़ी हुई हैं। इन दिनों उनके लिए हालात बेहद खराब हैं।
उन्होंने बताया कि गंभीर रूप से बीमार पिता के उपचार पर लाखों रुपये खर्च हुए। लंबे समय तक बीमार रहने के बाद पिता की मौत हो गई। कुछ समय पहले एक दुर्घटना में उनका भाई घायल हो गया। उनके उपचार पर भी बहुत ज्यादा खर्च आया। बाद में भाई की भी मौत हो गई।
अब वो और उनकी मां किसी तरह अपनी आजीविका चला रही हैं। परिवार की पूरी सेविंग पिता और भाई के उपचार पर खर्च हो चुकी है। तब सीएम विवेकाधीन कोष से भी उनकी मदद की गई थी।
साथ ही कई लोगों ने भी मदद की। उपचार से उन पर कर्ज हो गया है, जिसे वो चुकाने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को उनकी उपलब्धियों को देखते हुए सरकारी नौकरी देनी चाहिए ताकि उन्हें परिवार चलाने के लिए परेशान न होना पड़े।
साथ ही वो अपनी शूटिंग भी जारी रख सकें। मंगलवार को दिलराज कौर देहरादून में गांधी पार्क के गेट पर एक छोटी की जगह पर सामान बेचती हुई नजर आईं। खबर छपने के बाद दिलराज के मिलने के लिए कई लोग वहां पहुंचे।
बता दें कि दून निवासी दिलराज कौर के पैर भले ही कमजोर हैं, लेकिन शूटिंग रेंज में उनका अचूक निशाना ही उनकी पहचान है। ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान उन्हें शूटिंग की प्रेरणा मिली।
इसके बाद 2004 में तीसरी उत्तरांचल स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में 10 मीटर एयर पिस्टल का स्वर्ण पदक जीतने के साथ दिलराज के कॅरियर की शुरुआत हुई।