नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी मामले में सुनवाई करते हुए एक बार फिर यूपी सरकार से नाराजगी जताई है। इस महीने की शुरुआत में हुई हिंसक घटना के संबंध में एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘राज्य सरकार द्वारा अंतिम क्षणों में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई।’ सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 26 अक्टूबर को टाल दी और कहा कि एक दिन पहले रिपोर्ट देनी चाहिए। बता दें कि इस घटना में चार किसानों और एक पत्रकार सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। अदालत ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया है और पिछली सुनवाई में जांच में असंतोषजनक एक्शन के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की खिंचाई की थी। एक केंद्रीय मंत्री का बेटा भी इस घटना में मुख्य आरोपियों में शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही यूपी सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा, ‘हमने एक स्टेटस रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल किया है। सुनवाई शुक्रवार तक टाली जाए।’ इसपर अदालत ने कहा, ‘हमें यह रिपोर्ट अभी-अभी मिली है। हम कल देर शाम तक इंतजार करते रहे हैं। सुनवाई को टाला नहीं जा सकता।’ हालांकि, बाद में यूपी की ओर से सभी जानकारी न देने के कारण मामला अगले हफ्ते तक के लिए टाल दी गई है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दी। कोर्ट ने कहा कि आपने कुल 44 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं उसमें से सिर्फ चार के बयान ही मजिस्ट्रेट के समक्ष हुए हैं और के बयान भी 164 में दर्ज होने चाहिए। सरकार ने कोर्ट से इसके लिए समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से गवाहों को समुचित सुरक्षा देने को भी कहा।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया गांव में हुई घटना में आरोपी माने जाने के छह दिन बाद पुलिस ने गिरफ्तार किया। आरोप लगाया गया कि आरोपी की राजनीतिक संरक्षण को देखते हुए पुलिस ने कार्रवाई में देरी की।
पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने एफआइआर में नामजद अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं किए जाने और पूछताछ के लिए नोटिस भेजने पर सवाल उठाते हुए पुलिस की जांच पर असंतुष्टि जताई थी। कोर्ट ने निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच के लिए मामला किसी और एजेंसी को देने पर भी प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था। हालांकि, आशीष मिश्र को गिरफ्तार कर लिया गया है।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को मामले पर सुनवाई की। प्रधान न्यायाधीश को भेजे गए पत्रों में आग्रह किया गया था कि पूरे मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए। इसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआइ से भी समयबद्ध तरीके से जांच कराने की मांग की गई थी।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में गत तीन अक्टूबर को कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों को गाड़ी से कुचलने की घटना हुई थी जिसके बाद वहां मौजूद उग्र प्रदर्शकारियों ने गाड़ी के ड्राइवर सहित तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। इस घटना में एक पत्रकार की भी मौत हुई थी। कुल आठ लोग मारे गए थे। सुप्रीम कोर्ट के वकील शिव कुमार त्रिपाठी ने इस मामले में प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर घटना पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया था।