मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो काम विपक्ष के लिए नामुमकिन था, उसे मोदी ने मुमकिन कर दिखाया है। जिसे वो लोग असंभव कहते थे, वो सब आज संभव है। सात दिसंबर को पूरी दुनिया देखेगी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वी यूपी के उस सपने को कैसे साकार किया, जिसकी उम्मीद यहां के लोग चार दशक से लगाए बैठे थे।
गोरखपुर में मीडिया से रूबरू हुए सीएम योगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों सात दिसंबर को गोरखपुर खाद कारखाना, एम्स और आरएमआरसी के नौ लैब के लोकार्पण समारोह से पहले रविवार को मुख्यमंत्री गोरखनाथ मंदिर के तिलक हाल में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सात दिसम्बर को पूर्वी यूपी के लिए सपना बन चुके तीन बड़े प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने जा रहे हैं। यह सपने को साकार होते हुए 5 करोड़ की जनता देख रही है,जिसे पिछली सरकारों ने अपनी नाकामियों की वजह से नकार दिया था। साल 90 में यह खाद कारखाना बन्द हो गया था, 26 सालों तक सिर्फ आश्वासन दिए गए और इसकी वजह से किसान प्रभावित हुआ था और गोरखपुर के साथ पूर्वी यूपी के विकास पर असर पड़ा। अब यह सपना साकार हो चुका है। साल 2016 में मोदीजी ने इसका शिलान्यास किया। सात दिसम्बर को हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड कारखाना राष्ट्र को समर्पित होगा। 12 लाख टन यूरिया का यहां उत्पादन होगा।
पिछली सरकारों में संवेदना नही थी
योगी ने कहा कि बाढ़ और बीमारी के लिए जाने जाने वाले पूर्वी यूपी को लेकर पिछली सरकारों में संवेदना नही थी। इंसेफ्लाइटिस से 40 सालों में 50 हजार बच्चे यहां मौत के शिकार हुए। 2016 में मोदीजी ने गोरखपुर को एम्स दिया जो अब बनकर तैयार है। देश दुनिया में एम्स एक ब्रांड है जिसका उद्घाटन मोदीजी सात दिसम्बर को करेंगे। गोरखपुर में लैब न होने की वजह से 1977 में जाकर इंसेफ्लाइटिस का पता चल सका। यह जांच भी गोरखपुर के किसी लैब से नही बल्कि पुणे के लैब में हुई।
जांच सेंटर गोरखपुर में बनकर तैयार
मरीजों के सैम्पल लिए जाते थे तो उसे दूसरे शहरों में भेजा जाता था। अब एनआईबी पुणे की तरह एक बड़ा सेंटर गोरखपुर में बनकर तैयार है जिसका उद्घाटन पीएम मोदी द्वारा किया जाएगा। इसका शिलान्यास 2018 में हुआ था। इस पूरे आयोजन को भव्यता के साथ केंद्र और राज्य सरकार के साथ स्थानीय लोगो और संगठनों के लोग पूरा करेंगे। 1000 करोड़ की लागत से बना एम्स 112 एकड़ में बना है। फर्टिलाइजर के निर्माण में 8600 करोड़ की धनराशि करोड़ खर्च हुई है। आरएमआरसी 9 लैब को 36 करोड़ की लागत से बनाय गया है। पूर्वी यूपी के साथ बिहार और नेपाल की बड़ी आबादी को स्वास्थ्य सुविधा और रोजगार देने का काम यह सेंटर करेंगे।