नगर निगम की ओर से सहस्रधारा रोड राजेश्वर नगर में गूंज संस्था की तरफ से बनाए गए पार्क की जमीन की एनओसी निरस्त करने प्रकरण में बुधवार को जमकर हंगामा हुआ।
संस्था की अध्यक्ष सोनिया आनंद ने पहले प्रेसवार्ता कर महापौर सुनील उनियाल गामा पर गंभीर आरोप लगाकर जानबूझकर उन्हें दी गई एनओसी निरस्त करने की बात कही व इसके बाद उन्होंने नगर निगम पहुंचकर महापौर के कक्ष में हंगामा किया।
महापौर से दुर्व्यवहार देख उनके अंगरक्षक व निगम कर्मचारियों ने सोनिया आनंद को रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं मानीं। आधा घंटा हंगामा चला और इसके बाद अदालत में जाने की बात कहकर वह चली गईं। इस मामले में महापौर ने विधि विशेषज्ञों से राय लेकर कानूनी कार्रवाई की बात कही है।
गूंज संस्था की ओर से सहस्रधारा रोड पर राजेश्वर नगर में निगम की जमीन पर गौतम बुद्ध पार्क बनाया गया है। रविवार को पार्क का उद्घाटन पदमभूषण डा. अनिल प्रकाश जोशी व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने किया था।
सोमवार को नगर निगम बोर्ड बैठक में पार्क को लेकर स्थानीय पार्षद एवं भाजपा पार्षदों ने जमकर हंगामा किया। यह आरोप लगाया कि पार्क जमीन पर कब्जे के लिए बनाया गया है। हंगामे के बाद बोर्ड ने पार्क की जमीन की एनओसी निरस्त कर दी थी।
बुधवार दोपहर गूंज संस्था की अध्यक्ष सोनिया आनंद ने प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि एक साल पूर्व महापौर ने ही पार्क बनाने की अनुमति दी थी। सरकार के लोग ही सरकारी जमीनें धड़ल्ले से बेच रहे हैं और जो लोग कायदे एवं कानूनों का पालन कर जनता की सुविधा को सामाजिक कार्य कर रहे हैं, उन्हें निशाना बनाया जा रहा।
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि मंत्री व भाजपा नेताओं को सरकारी भूमि बेचकर करोड़ों रुपये कमाने की खुली छूट दी हुई है। सोनिया ने कहा कि उन्होंने करीब 18 लाख रुपये खर्च कर सहस्रधारा रोड पर गौतम बुद्ध पार्क तैयार किया।
पार्क के उद्घाटन में महापौर को भी बुलाया गया था, लेकिन वह नहीं आए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेता सहस्रधारा रोड पर सरकार व नगर निगम की करोड़ों की भूमि बेच रहे हैं व इसके बारे में महापौर को पूरी जानकारी है।
इसके बावजूद महापौर चुप हैं और सरकारी जमीनें लुटवा रहें हैं। सोनिया ने चेतावनी दी है कि एनओसी रद का निर्णय वापस नहीं हुआ तो निगम में धरना प्रदर्शन करेंगी। उनके साथ गूंज संस्था के उपाध्यक्ष रविंदर सिंह आनंद और आशा आनंद आदि मौजूद रहे।
इसके बाद सोनिया अपने समर्थकों समेत नगर निगम पहुंची और सीधे महापौर दफ्तर में आ धमकीं। उस वक्त महापौर निजी कक्ष में दून बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से वार्ता कर रहे थे। सोनिया बिना मंजूरी सीधे निजी कक्ष में घुस गईं एवं महापौर पर बरस पड़ी।
उन्होंने महापौर की संपत्ति पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की। लगभग आधे घंटे तक हंगामा चलता रहा। महापौर गामा से दुर्व्यवहार कर उनके लिए अभद्र टिप्पणीं भी की गई।
महापौर ने उन्हें बताया भी कि निगम ने जमीन की एनओसी निरस्त की है, पार्क की नहीं, लेकिन सोनिया ने एक नहीं सुनी। महापौर के अंगरक्षक से भी सोनिया ने बदसलूकी की। इस दौरान नगर निगम के कर्मचारी महापौर के पक्ष में एकत्रित हो गए थे, लेकिन महापौर ने उन्हें भी किसी तरह का कदम उठाने से रोक दिया।
सुनील उनियाल गामा (महापौर) ने कहा कि सोनिया आनंद मेरी परिचित हैं और मैंने उन्हें हमेशा अपनी बहन की तरह माना है। मुझे नहीं पता कि उन्होंने इतना हंगामा और मुझसे दुर्व्यवहार क्यों किया। नगर निगम ने जमीन की एनओसी एमडीडीए को दी थी। यही एनओसी निरस्त की गई।
गूंज संस्था से नगर निगम का पार्क बनाने का समझौता कभी हुआ ही नहीं। जमीन नगर निगम की स्वामित्व वाली है। पार्क आमजन के लिए बना है और निगम ने पार्क के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया है। मुझ पर सोनिया की ओर से जो आरोप लगाए गए हैं, वह झूठे और बेबुनियाद हैं।
सोनिया उन्हें सिद्ध कर दिखाएं। जो दुर्व्यवहार सोनिया ने किया है वह निंदनीय है। मैंने एक महिला व बहन होने के नाते दुर्व्यवहार के बावजूद किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी। अब मैं विधि विशेषज्ञों से सलाह ले रहा हूं। इसके बाद कानूनी कार्रवाई पर निर्णय लूंगा।