राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि शासन के वरिष्ठ अधिकारियों की आदत काम को उलझाने और फाइलों को लटकाने, टरकाने और उनमें कमी निकालने की होती है। मुख्यमंत्री और मंत्रियों के हाथ में कुछ भी नहीं है। सब कुछ अधिकारियों के हाथ में है लेकिन उनसे काम कराने की जिम्मेदारी मंत्रियों की है। इसलिए मंत्रियों को अधिकारियों से बहुत होशियारी से काम लेना चाहिए। उन्हें अधिकारियों से झगड़ा नहीं करना है। नहीं तो काम नहीं होगा। उनके साथ शांति और होशियारी के साथ चर्चा कर फाइल निपटाइए।
अठारहवीं विधान सभा के सदस्यों के लिए विधान भवन के तिलक हाल में आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम को शनिवार को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि शासन के वरिष्ठ अधिकारी कभी आपको यह नहीं बताएंगे कि कितनी फाइलें लंबित हैं, शासनादेशों में क्या बदलाव होना चाहिए। आपको यह जिले के अधिकारी और छोटे कर्मचारी बताएंगे। राज्यपाल ने विधायकों और मंत्रियों को ठेके-पट्टों से दूर रहने रहने और अपने बच्चों व रिश्तेदारों को अपने काम से दूर रखने की नसीहत दी।
कहा कि जब आप टेंडर के चक्कर में पड़ते हैं या आपके बच्चे और रिश्तेदार आपके काम में हस्तक्षेप करते हैं तो आपकी छवि खराब होती है। विधायक बनने से पहले हमारा जीवन बेहद सादगी से गुजरता है लेकिन विधायक बनने के बाद हमारे रहन-सहन में जो अंतर आता है, जनता उसे बड़ी बारीकी से देखती है। इसलिए रोटी-दाल खाइए लेकिन शान से।
मंत्रियों और विधायकों से उन्होंने कहा कि सरकार के संसाधन और बजट सीमित है। इसलिए आपके काम की प्राथमिकताएं तय होनी चाहिए। विकास में सबसे पिछड़े क्षेत्र को प्राथमिकता देनी चाहिए। यदि आप सोचेंगे कि आप अपने क्षेत्र का सारा विकास करा देंगे और जनता से ऐसे वादे भी करेंगे तो आप लोगों को निराश करेंगे। इससे आपकी छवि भी खराब होगी। उन्होंने विधायकों को अपने कार्यकर्ताओं से नियमित संवाद करने के लिए कहा क्योंकि उसने उनके लिए पसीना बहाया है।
उन्होंने विधायकों को अपने कार्यों का दस्तावेज तैयार कर उसे जनता के बीच पहुंचाने का सुझाव दिया। महिला विधायकों से उन्होंने दो टूक कहा कि महिला होने का बहाना बनाकर आप अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकतीं। प्रबोधन कार्यक्रम को विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने भी संबोधित किया।
बताया मोदी का गुजरात गवर्नेंस माडलः नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में गुजरात में शिक्षा, राजस्व और लोक निर्माण जैसे विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुकी राज्यपाल ने सदस्यों से मोदी का गुजरात गवर्नेंस माडल भी साझा किया। गुजरात में मोदी सरकार के मंत्री गुरुवार से रविवार तक जिलों का प्रवास करते थे और लोगों से संवाद कर जमीनी हकीकत को समझते थे। सोमवार से बुधवार तक मंत्री राजधानी में होते थे।
बुधवार को कैबिनेट की बैठक में सुबह 10 बजे सभी मंत्री पहुंच जाते थे और एक-दूसरे से फील्ड के अनुभव साझा करते थे। इससे सभी मंत्रियों को अपने-अपने विभागों से संबंधित क्षेत्र की समस्याओं की जानकारी हो जाती थी। जब मुख्यमंत्री आते थे तो सभी मंत्री एक-एक कर उन्हें अपनी फील्ड की रिपोर्ट देते थे। इसके बाद मुख्यमंत्री शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें समस्याओं के निदान का निर्देश देते थे। अगले बुधवार को अधिकारियों को बताना होता था कि उन्होंने क्या किया।
राज्यपाल ने बताया कि सोमवार को सभी मंत्री पूरे दिन लोगों से मिलते थे और उनकी समस्याएं सुनते थे। मंगलवार को मंत्रियों का विधायकों-सांसदों से मुलाकात का कार्यक्रम निर्धारित था। बुधवार को मंत्रियों के सामने शासन के विशिष्ट कार्यों का प्रस्तुतीकरण होता था। उन्होंने कहा कि यदि आप टाइम टेबल के हिसाब से काम करेंगे तो उत्तर प्रदेश भी देश के लिए एक माडल बन सकता है। इस सिलसिले में योगी सरकार के मंत्रियों के प्रवास कार्यक्रम की उन्होंने सराहना भी की।