देहरादून: प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) उद्योग के क्षेत्र में निवेशकों को कैबिनेट ने बड़ी राहत दी है। इन्हें न केवल सिडकुल क्षेत्र में सर्किल रेट पर भूखंडों का आवंटन किया जाएगा, बल्कि एक भूखंड पर स्वीकृत उद्योग के साथ ही सेवा क्षेत्र के चिह्नित उद्योग भी संचालित किए जा सकेंगे। निवेशक इसके लिए भूखंड के क्षेत्र को किराये पर भी दे सकेंगे।
राज्य के पर्वतीय व ग्रामीण क्षेत्रों में एमएसएमई क्षेत्र तेजी से फल फूल रहा है। अब प्रदेश में इसे विस्तार देने के लिए एमएसएमई का दायरा बढ़ाया गया है। इसके लिए एमएसएमई नीति में संशोधन किया गया है।
दरअसल, सरकार राज्य में औद्योगिक आस्थान लगाने के लिए सिडकुल के जरिये भूखंड आवंटित करती है। इसकी दरों में राज्य गठन के बाद से ही बढ़ोतरी नहीं हो पाई थी।
ऐेसे में उद्योग विभाग ने भूखंड आवंटन की नई दरों को तय करने और उद्योगों को बढ़ावा देने एक भूखंड पर एक से अधिक उद्योग लगाने की अनुमति देने का निर्णय लिया। इससे संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसे कैबिनेट ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।
इसके अनुसार अब आवंटित भूखंड में निवेशक विनिर्माण के साथ ही सेवा क्षेत्र के अन्य उद्योगों का संचालन कर सकते हैं।
इन भूखंडों में व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा संस्थान, आटोमोबाइल मरम्मत एवं सर्विसेज, बैंक सेवा (अधिकतम दो बैंक) , जैव प्रौद्योगिकी व सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित सेवाएं भी संचालित की जा सकती हैं।
भूखंड का निर्धारण प्रभावी सर्किल रेट के आधार पर होगा। सर्किल रेट बदलने पर नई दरें स्वत: ही इन भूखंडों के लिए भी लागू हो जाएंगी। औद्योगिक प्रयोजन के लिए सी व डी श्रेणी में वर्गीकृत भूखंड की दर संबंधित जिले के सर्किल रेट का 50 प्रतिशत और श्रेणी ए, बी व बी प्लस क्षेत्र में सर्किल रेट का 40 प्रतिशत होगी। सिडकुल क्षेत्र में भूखंड एवं शेड का हस्तांतरण भी सर्किल रेट के आधार पर किया जाएगा।
132 इकाइयों को पूर्व रजिस्ट्रेशन में छूट
कैबिनेट ने एक और अहम निर्णय के तहत 132 एमएसएमई इकाइयों को पूर्व पंजीकरण की अनिवार्यता में छूट प्रदान की है। एमएसएमई नीति में सब्सिडी देने के लिए एक प्रविधान यह भी है कि उद्योग लगाने वाली इकाइयों को पूर्व रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
इसके लिए 31 जनवरी 2021 तक रजिस्ट्रेशन कराने की सीमा रखी गई थी। कोविड के कारण ये इकाइयां रजिस्ट्रेशन कराने से चूक गई। इसके अलावा ये शेष अर्हता पूरी करती है। इन्हें सब्सिडी का लाभ देने के लिए कैबिनेट ने इन कंपनियों को पूर्व रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता से छूट दे दी है।