नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 92वें एपिसोड को सबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने हर घर तिरंगा मुहिम को सफल बनाने के लिए देशवासियों की सराहना की। रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस के विशेष अवसर पर हमने देश की सामूहिक शक्ति के देखा को देखा। इस दौरान हमें एक चेतना की अनुभूति हुई। इतना बड़ा देश, इतनी विविधताएं, लेकिन जब बात तिरंगा फहराने की आई, तो हर कोई, एक ही भावना में बहता दिखाई दिया।
तिरंगामय हुआ मेरा कार्यालय- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने आगे कहा कि अगस्त के इस महीने में आप सभी के पत्रों, संदेशों और कार्ड ने मेरे कार्यालय को तिरंगामय कर दिया है। मुझे ऐसा शायद ही कोई पत्र मिला हो, जिस पर तिरंगा न हो, या तिरंगे और आजादी से जुड़ी बात न हो। आजादी के इस महीने में हमारे पूरे देश में अमृत महोसत्व की अमृतधारा बह रही है। अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस के इस विशेष अवसर पर हमने देश की सामूहिक शक्ति के दर्शन किए हैं।
पीएम मोदी ने किया प्रोजेक्ट संपूर्णा का जिक्र
पीएम मोदी ने असम के बोंगई गांव की प्रोजेक्ट संपूर्णा का भी जिक्र किया। पीएम ने कहा कि असम के बोंगई गांव में एक दिलचस्प परियोजना चलाई जा रही है, वो है- प्रोजेक्ट संपूर्णा। इस प्रोजेक्ट का मकसद है कुपोषण के खिलाफ लड़ाई और इस लड़ाई का तरीका भी बहुत यूनिक है। मन की बात के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि सामाजिक जागरूकता के प्रयास कुपोषण की चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मैं आप सभी से आगामी पोषण माह में कुपोषण उन्मूलन के प्रयासों में भाग लेने का आग्रह करूंगा।
पीएम मोदी ने किया ‘स्वराज’ कार्यक्रम का जिक्र
साथ ही पीएम ने दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम का जिक्र किया। पीएम ने कहा कि आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले अनसुने नायक-नायिकाओं की कहानी है ‘स्वराज’। दूरदर्शन पर हर रविवार ‘स्वराज’ का रात 9 बजे प्रसारण होगा जो 75 सप्ताह तक चलने वाला है। मेरा आग्रह है कि आप इसे खुद भी देखें और अपने बच्चों को भी जरूर दिखाएं।
पीएम मोदी ने की तारीफ
पीएम मोदी ने कहा कि लोगों ने तिरंगा अभियान के लिए अलग-अलग इनोवेटिव आइडिया भी निकाले। जैसे युवा साथी कृशनील अनिल एक पजल कलाकार हैं और उन्होंने रिकॉर्ड समय में खूबसूरत तिरंगा तैयार किया और कर्नाटक के कोलार में लोगों ने 630 फीट लंबा, 205 फीट चौड़ा तिरंगा पकड़कर अनूठा दृश्य प्रस्तुत किया।
Millets का सबसे बड़ा उत्पादक देश है भारत- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि भारत, विश्व में Millets का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, इसलिए इस पहल को सफल बनाने की बड़ी जिम्मेदारी भी हम भारत-वासियों के कंधे पर ही है। हम सबको मिलकर इसे जन-आंदोलन बनाना है, और देश के लोगों में Millets के प्रति जागरूकता भी बढ़ानी है। मेरा, अपने किसान भाई-बहनों से, यही आग्रह है कि Millets यानी मोटे अनाज को अधिक-से-अधिक अपनाएं और इसका फायदा उठाएं।
भारत के प्रस्ताव को 70 देशों का मिला समर्थन- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने मन की बात के दौरान कहा कि United Nations ने एक प्रस्ताव पारित कर वर्ष 2023 को International Year of Millets घोषित किया है। आपको ये जानकर भी बहुत खुशी होगी कि भारत के इस प्रस्ताव को 70 से ज्यादा देशों का समर्थन मिला था। आज, दुनिया भर में, इसी मोटे अनाज का, Millets का Craze बढ़ता ही जा रहा है। Millets, मोटे अनाज, प्राचीन काल से ही हमारे Agriculture, Culture और Civilisation का हिस्सा रहे हैं। हमारे वेदों में Millets का उल्लेख मिलता है और इसी तरह, पुराणनुरू और तोल्काप्पियम में भी इसके बारे में बताया गया है।
जोरसिंग गांव में शुरु हुई 4G internet की सेवाएं- पीएम मोदी
मन की बात के दौरान पीएम ने कहा कि कुछ दिन पहले मैंने अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले में जोरसिंग गांव की एक खबर देखी। ये खबर एक ऐसे बदलाव के बारे में थी, जिसका इंतजार इस गांव के लोगों को कई वर्षों से था। पीएम ने बताया कि जोरसिंग गांव में इसी महीने स्वतंत्रता दिवस के दिन से 4G internet की सेवाएं शुरू हो गई हैं।
‘अमृत महोत्सव के रंग भारत के साथ दुनिया में भी देखने को मिले’
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के दौरान कहा कि अमृत महोत्सव के ये रंग केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी देखने को मिले। बोत्स्वाना में वहां के रहने वाले स्थानीय गायक ने भारत की आजादी के 75 साल मनाने के लिए देशभक्ति के 75 गीत गाए। पीएम ने आगे कहा कि ‘मन की बात’ में ही चार महीने पहले मैंने अमृत महोत्सव की बात की थी। उसके बाद अलग-अलग जिलों में स्थानीय प्रशासन जुटा, स्वयं सेवी संस्थाएं और स्थानीय लोग जुटे, देखते ही देखते अमृत सरोवर का निर्माण एक जन आंदोलन बन गया है।
मन की बात में बोले पीएम मोदी
पीएम ने कहा कि पहाड़ों पर रहने वाले लोगों के जीवन से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। पहाड़ों की जीवनशैली और संस्कृति से हमें पहला पाठ तो यही मिलता है कि हम परिस्थितियों के दबाव में ना आएं तो आसानी से उन पर विजय भी प्राप्त कर सकते हैं और दूसरा, हम कैसे स्थानीय संसाधनों से आत्मनिर्भर बन सकते हैं।