देहरादून: धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं गणेश जोशी। नाम से आप समझ ही गए होंगे, देश-दुनिया में चर्चा में रह चुके हैं। हाल ही में अपने कार्यालय में बैठे थे, एक प्रतिनिधिमंडल मुलाकात को पहुंचा, मंत्री जी तुरंत अलर्ट मुद्रा में। सब चकित, ऐसा क्यों। दीनदयाल सेवा प्रतिष्ठान की उपाध्यक्ष निर्मला जोशी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने अपनी समस्या से मंत्री जी को अवगत कराया।
जोशी जी ने तुरंत नगर आयुक्त को फोन मिलाया और निर्देश दिए कि इनके मामले का अविलंब समाधान सुनिश्चित किया जाए। अब कार्यालय में आए प्रतिनिधिमंडल की आवभगत तो होनी ही थी। वैसे, नेता आश्वासन देने में हरदम दरियादिली दिखाते हैं, लेकिन इस बार मंत्री जी की तत्परता ने ध्यान खींचा। बाद में पता चला कि निर्मला जोशी मंत्री जी की पत्नी हैं। अब भला किस पति की इतनी जुर्रत कि पत्नी की बात को टाल जाए, शाम को लौटना तो घर पर ही है।
नौ महीने बाद मिलने जा रही टीम
लंबी प्रतीक्षा के बाद लगता है अब कांग्रेस प्रदेश संगठन के मुखिया करन माहरा को जल्द नई टीम मिल जाएगी। लगातार दूसरे विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथों करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को बाहर का रास्ता दिखा पूर्व विधायक करन माहरा को संगठन की कमान सौंपी।
नौ महीने से अधिक वक्त बीत गया, लेकिन माहरा प्रदेश कार्यकारिणी को अंतिम रूप नहीं दे पाए। हाल में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इसे लेकर माहरा पर कटाक्ष भी किया था। अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कार्यकारिणी को अनुमोदन दे दिया है।
संभावना है कि अगले कुछ दिनों में इसकी विधिवत घोषणा हो जाएगी। जिस तरह के संकेत हैं, कार्यकारिणी पहले की अपेक्षा आकार में छोटी रह सकती है। ऐसा होता है तो गुटों में बंटी कांग्रेस और इसके नेताओं को साधना, संतुष्ट करना करन माहरा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
जनाब, नाम में बहुत कुछ रखा है
कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, पूर्व विधायक हैं। अब ये हो गए हैं राजा प्रणव सिंह लंढौरा। हाल ही में इन्होंने अपना नाम बदल लिया है। हरिद्वार जिले की खानपुर सीट से निर्दलीय से लेकर कांग्रेस और भाजपा से भी विधायक रहे हैं। पार्टी कोई भी हो या कोई न हो, प्रणव इलाके में अपनी पकड़ का लोहा मनवा चुके हैं।
इस बार पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। कुंवर, राजा हैं, तो आप समझ ही गए होंगे कि रुआब तो होगा ही। इसी फेर में जबान फिसलने पर भाजपा ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था, लेकिन पकड़ वाले हैं तो फिर गले लगा लिया। खैर, इनकी चर्चा इसलिए क्योंकि इन्होंने अपने नाम के साथ ही पत्नी का नाम भी बदल दिया है। पत्नी के नाम में बिष्ट जोड़ लिया है, तर्क यह कि इनके एक पूर्वज बिष्ट थे। बाकी आप समझ ही गए होंगे।
धामी की सराहना, त्रिवेंद्र को दी बधाई
हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज। इतने सक्रिय कि इनकी चर्चा किए बगैर रहा ही नहीं जाता। लगातार हार के बाद कांग्रेस की अगली पीढ़ी कमान संभाल चुकी है, मगर रावत हैं कि जब भी उत्तराखंड में कांग्रेस की बात होती है, इनका ही नाम सामने आता है।
चर्चा में स्वयं को कैसे बनाए रखना है, इनसे बेहतर कोई नहीं जानता। इस हफ्ते एक ही दिन इन्होंने दो पोस्ट की, दोनों भाजपा को ही समर्पित। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक कार्यक्रम में बच्चे के जूते के फीते बांधे, फोटो धामी की सादगी के कारण खासी चर्चा में रही। रावत ने इस फोटो को फोटो आफ द मंथ करार दिया। थोड़ी ही देर बाद अगली पोस्ट में रावत पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत के लिए सत्यमेव जयते कहते हुए बधाई देते दिखे। कांग्रेस और भाजपा, दोनों खेमे इसके निहितार्थ तलाश रहे हैं।