देहरादून। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि मोदी सरकार पर्यावरण संरक्षण को लेकर बेहद संवेदनशील होने के साथ ही उसके उपायों को लेकर गंभीर भी है। जंगल की आग से प्रभावित उत्तराखंड, हिमाचल समेत अन्य पहाड़ी राज्यों को इससे निबटने के लिए केंद्र हरसंभव मदद कर रहा है। यह पर्यावरण संरक्षण के केंद्र के संकल्प का महत्वपूर्ण अंश है।
उत्तराखंड के दो दिवसीय दौरे पर आए केंद्रीय मंत्री यादव ने जंगल की आग समेत अन्य विषयों पर दैनिक जागरण के प्रश्नों के उत्तर में यह बात कही। केंद्रीय मंत्री यादव ने कहा कि देशभर में आग के दृष्टि से संवेदनशील स्थलों का अध्ययन करने को कई कदम उठाए गए हैं। इसी कड़ी में देहरादून में आइसीएफआरई में वन अग्नि प्रबंधन पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया गया है।
इस केंद्र ने डीआरडीओ, एनडीएमए, आइआइएफएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ मिलकर राज्यों के वन विभाग के परामर्श किया है। पहाड़ी राज्यों में फील्ड विजिट की जा रही है, ताकि जंगल की आग को कम करने के लिए राज्यों को सुझाए जाने वाले कदमों की पहचान की जा सके। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय वन नीति और वन (संरक्षण एवं संवर्द्धन) अधिनियम के अनुसार कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा केंद्र प्रायोजित योजनाओं और कैंपा से वित्त पोषण भी किया जा रहा है।
0.1 हेक्टेयर क्षेत्र वन अधिनियम के दायरे से बाहर
एक प्रश्न पर केंद्रीय मंत्री यादव ने कहा कि देश में बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण से, जिसमें पहाड़ी राज्य भी हैं, केंद्र सरकार ने कई पहल की हैं। इसी कड़ी में वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम में सड़क व रेलवे ट्रेक के किनारे की बस्तियों और सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए 0.1 हेक्टेयर तक के वन क्षेत्र को वन संरक्षण अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है। यही नहीं अनुमोदन की प्रक्रिया को आनलाइन कर सुव्यवस्थित कर सरल बनाया गया है। परिवेश 2.0 भी संचालित किया जा रहा है।
प्रतिपूरक वनीकरण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसके प्रविधान को भी सुव्यवस्थित किया गया है। एक हेक्टेयर तक के प्रस्तावों को प्रतिपूरक वनीकरण से मुक्त किया गया है। वन संपन्न राज्य दूसरे राज्यों में भी प्रतिपूरक वनीकरण कर सकते हैं। राज्यों को भूमि की पहचान में देरी कम करने के लिए भूमि बैंक बनाने की अनुमति दी गई है। यह पहल पहाड़ी राज्यों में विकास कार्यों को तेजी से अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
राज्यों को उपलब्ध कराए जा रहे ज्यादा वित्तीय संसाधन
केंद्रीय वन मंत्री ने माना कि वन क्षेत्र ज्यादा होने के कारण उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्य देश को पारिस्थितिक सेवाएं तो दे रहे हैं, लेकिन कई बार विकास कार्यों के लिए उन्हें यथोचित भूमि नहीं मिल पाती। 15वें वित्त आयोग ने वन एवं पारिस्थितिक मानदंड के लिए 10 प्रतिशत का भार आवंटित किया है।
यह प्रत्येक राज्य के घने वनों की हिस्सेदारी की गणना कर सभी राज्यों के कुल घने वनों के अनुपात के अनुसार तय किया जाता है। घने वनों के बदले राज्यों को ज्यादा वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराकर इसकी भरपाई की जा रही है। पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कार्बन क्रेडिट तंत्र का भारत समर्थन करता है।
देश में 140 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्षा जल संरक्षण एवं संचयन में वृक्षों का महत्वपूर्ण योगदान है। इसे जनांदोलन बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक पेड़ मां के नाम अभियान की शुरुआत पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर की है। इसके अंतर्गत देश में 140 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। मैं देश के प्रत्येक नागरिक से आग्रह करूंगा कि वह इस अभियान का हिस्सा बने।