देहरादून। उत्तराखंड के कुछ जिलों में अगले दो दिन मानसून की वर्षा भारी पड़ सकती है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, आज सात जिलों में भारी से बहुत भारी वर्षा होने के आसार हैं।
इसे देखते हुए देहरादून, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, चंपावत, ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार में कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी वर्षा को लेकर रेड अलर्ट जारी किया गया है। वहीं, अन्य जिलों में कहीं-कहीं गर्जन के साथ आकाशीय बिजली चमकने व वर्षा के तीव्र से अति तीव्र दौर होने की आशंका है।
बदरीनाथ हाईवे मलबा आने से बंद
चमोली जिले में मंगलवार रात से हो रही बारिश बुधवार सुबह भी जारी रही। यहां बदरीनाथ हाईवे नन्दप्रयाग और बाजपुर के पास मलबा आने के कारण मार्ग अवरूद्ध है।
धूप और बादलों की आंख-मिचौनी
मंगलवार को सुबह से दून समेत आसपास के क्षेत्रों में धूप और बादलों की आंख-मिचौनी जारी रही। इस बीच हल्की बूंदाबांदी का दौर चलता रहा। हालांकि, इस दौरान तापमान सोमवार की तुलना में कम रहा, लेकिन उमसभरी गर्मी बनी रही।
मौसम विभाग की ओर से जारी अलर्ट में देहरादून में अगले दो दिन कुछ क्षेत्रों में गरज-चमक के साथ भारी वर्षा के तीव्र से अति तीव्र दौर होने की आशंका है। इसके साथ ही छह अन्य जिलों में भी भारी वर्षा होने का अनुमान है।
नदी-नालों के उफान पर आने की आशंका
मौसम विभाग ने पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन और निचले क्षेत्रों में नदी-नालों के उफान पर आने की आशंका जताई है। जिसके चलते आसपास के क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
देर शाम देहरादून, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिले में स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया गया। जबकि, हरिद्वार जिले में कांवड़ मेले के चलते स्कूलों में दो अगस्त तक अवकाश किया जा चुका है।
अतिवृष्टि से नहरें व गूलें क्षतिग्रस्त, 149 गांवों में सिंचाई बाधित
आपदा की दृष्टि से संवदेनशील उत्तराखंड में इस वर्षाकाल में अतिवृष्टि जनमानस पर भारी पड़ रही है। बादल फटने, भूस्खलन जैसी आपदा के कारण जान-माल को क्षति पहुंच रही है।
अतिवृष्टि से सिंचाई नहरें व गूलों के साथ ही बाढ़ सुरक्षा कार्यों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। अभी तक की तस्वीर देखें तो राज्य में 443 नहरें व गूलें क्षतिग्रस्त होने से 149 गांवों में खेतों की सिंचाई बाधित हुई है।
159 बाढ़ सुरक्षा कार्यों में कहीं तटबंध टूटे हैं तो कहीं सुरक्षा दीवार ढही है। इन कार्यों में 630 किलोमीटर लंबाई में हुई क्षति से 45 गांवों के लोग भयभीत हैं।
अतिवृष्टि, नदियों की बाढ़ व भूस्खलन के कारण सिंचाई योजनाएं अधिक प्रभावित हुई हैं। वह भी विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में। इस वर्षाकाल में अब तक नहरें व गूलें क्षतिग्रस्त होने के कारण 149 गांवों में खेतों की सिंचाई की समस्या उत्पन्न हो गई है। कारण यह कि वर्षा अनियमित हो रही है।
किसी क्षेत्र में बादल जोरदार ढंग से बरस रहे हैं, तो कहीं बेहद कम। ऐसे में खेतों की सिंचाई के लिए नहरें, गूलें ही बड़ा माध्यम हैं। जिस हिसाब से ये क्षतिग्रस्त हुई हैं, उससे फसलों की पैदावार पर असर पडऩे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
विभिन्न नदियों, बरसाती नदियों के किनारे खेतों और आबादी वाले क्षेत्रों की सुरक्षा के दृष्टिगत किए गए बाढ़ सुरक्षा कार्यों को अतिवृष्टि के चलते नदियों में आई बाढ़ से नुकसान पहुंचा है।
सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में बीते दिवस हुई समीक्षा बैठक में भी वर्षाकाल में नहरों व गूलों और बाढ़ सुरक्षा कार्यों को हुई क्षति का विषय रखा गया। बताया गया कि नहरों-गूलों की मरम्मत के लिए लगभग 23 करोड़ रुपये की आवश्यकता है, जबकि बाढ़ सुरक्षा कार्यों को दुरुस्त कराने पर 49 करोड़ रुपये का व्यय आएगा।
टिहरी में प्राकृतिक आपदा से 50 करोड़ का नुकसान
इस वर्ष प्राकृतिक आपदा से टिहरी में व्यापक नुकसान हुआ है। जिलेभर में सड़कें, नदियों के तटबंध, पुल, कृषि भूमि सहित ग्रामीणों के मकान, गोशाला, स्कूल और पैदल रास्ते क्षतिग्रस्त हुए हैं। फिलहाल, जिला प्रशासन ने लगभग 50 करोड़ रुपये के नुकसान का प्रारंभिक आकलन किया है।
हालांकि, अभी कई क्षेत्रों से रिपोर्ट आनी बाकी है।टिहरी को आपदा ने इस बार बड़ा झटका दिया है। इससे भिलंगना विकासखंड सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां 27 जुलाई की रात तोली गांव में भूस्खलन से मां-बेटी की मौत हो गई। इसी दौरान झाला में एक नेपाली मूल की महिला श्रमिक और उसकी बेटी नदी में बह गई।
आपदा प्रबंधन विभाग ने अपनी रिपोर्ट में अभी तक जिले में 50 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारी वर्षा से सबसे ज्यादा नुकसान लोनिवि और पीएमजीएसवाई की सड़कों को पहुंचा है। इनकी छह प्रमुख सड़कें ध्वस्त हो गई हैं।
नदियों के उफान पर आने से ऊर्जा निगम के ट्रांसफार्मर और बिजली के कई पोल बह गए। लगभग पांच हेक्टेयर कृषि भूमि भी बह गई है। भूस्खलन और भूधंसाव से 57 मकान ध्वस्त हो चुके हैं। भिलंगना विकासखंड के तिनगढ़ गांव को तो प्रशासन ने भूस्खलन के खतरे को देखते हुए खाली करा दिया है।