देहरादून : राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने से संबंधित विधेयक को सात साल बाद राजभवन ने सरकार को पुनर्विचार के लिए लौटा दिया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधेयक को लौटाने या इसे स्वीकृति देने का अनुरोध राजभवन से किया था। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण दिया जाएगा। सरकार विधेयक में खामियों को दूर करेगी।
10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर रोक लगा दी थी
नैनीताल हाईकोर्ट ने वर्ष 2011 में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर रोक लगा दी थी। 2015 में हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए इस आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया।
2015 में कांग्रेस सरकार ने राजभवन को भेजा था आरक्षण विधेयक
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2015 में विधानसभा में राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी विधेयक पारित कर राजभवन को भेजा था।
तब से अभी तक इस विधेयक को राजभवन की स्वीकृति नहीं मिल पाई है। यद्यपि राजभवन ने हाईकोर्ट के निर्णय को देखते हुए विधेयक के विधिक पक्ष को लेकर विधि विशेषज्ञों से परामर्श भी किया था।
एनडी तिवारी सरकार ने जारी किया था शासनादेश
वर्ष 2004 में एनडी तिवारी सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए शासनादेश जारी किया था। इस आदेश के आधार पर आंदोलनकारियों को सरकारी विभागों में नौकरी भी मिली थी।
आरक्षण विधेयक पर पुनर्विचार करेगी सरकार : सीएम धामी
अब राजभवन ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुरोध को स्वीकार कर इस विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटा दिया। साथ में हाईकोर्ट के निर्णय को देखते हुए इस पर विचार करने को कहा है।
उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण विधेयक पर पुनर्विचार करेगी। विधेयक की खामियों को दूर किया जाएगा। सरकार आंदोलनकारियों को आरक्षण देने के बारे में कृतसंकल्प है।