10 नवंबर को लक्ष्मण मेला घाट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद छठ उत्सव की करेंगे शुरुआत

सुख-समृद्धि के प्रतीक भगवान सूर्य देव की उपासना करने मात्र से सभी दु:ख दूर हो जाते हैं। इसी मंशा से छठ पर सूर्य देव की उपासना की जाती हैं। पूर्वांचल के मुख्य पर्व में से एक इस पर्व को लेकर लखनऊ में भी तैयारियां पूरी हो गई हैं। 36 घंटे के निर्जला व्रत कर महिलाएं अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य की उपासना कर व्रत का पारण करती हैं। मंगलवार को खरना के चलते पूजन में चढ़ने वाली सामग्री की खरीदारी व साफ सफाई की गई। मंगलवार को रसियाव सेवन के साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया। छठ उत्‍सव पर प्रदेश में सार्वजन‍िक अवकाश करने की बड़ी घोषणा के बाद अब 10 नवंबर को लक्ष्मण मेला घाट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद शाम चार बजे छठ उत्सव की शुरुआत करेंगे।

अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के अध्यक्ष प्रभुनाथ राय ने बताया कि अवधी एवं शास्त्रीय गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी जहां छठ गीतों का गुलदस्ता पेश करेंगी तो कुसुम पांडेय मिर्जापुरी कजरी पेश करेंगी। शशि सिंह समेत कई गायक छठ गीत प्रस्तुत करेंगे। लक्ष्मण मेला स्थल पर 10 की शाम से लेकर 11 नवंबर की सुबह तक कलाकार भोजपुरी गीतों का गुलदस्ता पेश करेंगे। मनोज मिहिर, रंजना मिश्रा,अनुमेहा गुप्ता, पूजा मिश्रा जहां छठ गीत पेश करेंगी तो शशिभूषण शुक्ला, मीना मिश्रा, सुरेश कुशवाहा, एसपी चौहान, कुसुम पांडेय, अकरम अंजाना, शंकर यादव, अखिलेश व रविशंकर देहाती सहित कई कलाकार गीत पेशकर माहौल को भोजपुरी रंग में रंगने का कार्य करेंगे।

संकट मोचन मंदिर में होगी पूजा : कृष्णानगर के इंद्रलोक कालोनी स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर (नई पानी की टंकी पार्क) में छठ पूजा होगी। यहां के निवासियों उदय सिंह, विनय सिंह, अखिलेश सिंह और मनोज कुमार समेत आसपास के निवासियों की ओर से मंदिर परिसर में पूजन स्थल का पक्का निर्माण कराया गया है। नगर निगम से सफाई व पानी की व्यवस्था कराने की भी निवासियों ने मांग की है। इसके अलावा पीएसी महानगर, छोटी व बड़ी नहर आलमबाग के साथ ही मवैया में भी महिलाएं पूजन करेंगी। गोमती नदी के झूलेलाल घाट, संझिया घाट, कुडिय़ा घाट व अग्रसेन घाट सहित के सभी घाटों पर भी विशेष पूजा होगी।

ऐसे होती है पूजा : आदिलनगर निवासी रंजना सिंह ने बताया कि लौकी की खीर खाकर महिलाएं व्रत शुरू करती हैं। बेटा या पति बांस की टोकरी में मौसमी फल व सब्जियों को छह, 12 व 24 की संख्या में लेकर नदी या तालाबों के किनारे जाते हैं। छठ गीत गाती व्रती महिलाओं के संग अन्य महिलाएं घाट तक जाती हैं। मिट्टी की सुशोभिता (छठ मइया का प्रतीक) बनाकर पुरोहितों के सानिध्य में पूजा होती है। गन्ने के साथ ही दूध व गंगा जल से डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। दूसरे दिन उगते सूर्य की उपासना और अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।

सूर्यदेव को अर्घ्य देने का समय : आचार्य अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि 10 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य का समय शाम 5:27 बजे है जबकि 11 को उदीयमान सूर्य को सुबह 6:34 बजे अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने वाली स्त्रियां धन-धान्य-पति -पुत्र व सुख,समृद्धि से परिपूर्ण व संतुष्ट रहती हैं ।

सत्कर्म से जुड़ा है पर्व का कथानक : आचार्य राकेश पांडेय ने बताया कि षष्ठी का पर्व सत्कर्म से जुड़ा है। इस दिन व्रत पूजन करने से चर्म रोग व नेत्र रोग से मुक्ति मिल सकती है,इस व्रत को निष्ठा पूर्वक करने से पूजा व अर्घ्य दान देते समय सूर्य की किरण अवश्य देखना चाहिए । प्राचीन समय में बिंदुसार तीर्थ में महिपाल नामक एक वणिक रहता था । वह धर्म-कर्म तथा देवताओं का विरोध करता था । एक बार सूर्य नारायण के प्रतिमा के सामने होकर मल-मूत्र का त्याग किया,जिसके फल स्वरूप उसकी दोनों आखें नष्ट हो गई । एक दिन उसे जीवन से ऊब कर गंगा जी में कूद कर प्राण देने का निश्चय कर चल पड़ा । रास्ते में उसे ऋषि राज नारद जी मिले और पूछे -कहिए सेठ जी कहा जल्दी जल्दी भागे जा रहे हो ? अंधा सेठ रो पड़ा और सांसारिक सुख-दुःख की प्रताड़ना से प्रताड़ित हो प्राण- त्याग करने जा रहा हूँ -मुनि नारद जी बोले- हे अज्ञानी तू प्राण-त्याग कर मत मर भगवान सूर्य के क्रोध से तुम्हें यह दु:ख भुगतना पड़ रहा है ! तू कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की सूर्य षष्ठी का व्रत रख,-तेरा कष्ट समाप्त हो जाएगा ! वणिक ने समय आने पर यह व्रत निष्ठा पूर्वक किया जिसके फल स्वरूप उसके समस्त कष्ट मिट गए व सुख-समृद्धि प्राप्त करके पूर्ण दिव्य ज्योति वाला हो गया । अतः इस व्रत व पूजन को करने से अभीष्ट की प्राप्ति होती है ।

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