भारत के साथ जारी वार्ता के बावजूद चीन 3,488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी सेना के लिए तेजी से बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है। साथ ही पूरी एलएसी पर अपने सैनिकों की नए सिरे से तैनाती भी कर रहा है। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि वह वार्ता के साथ-साथ लंबे समय तक सैन्य तैनाती की तैयारी भी कर रहा है। जानकारी के मुताबिक, चीन काराकोरम पास और रेचिन ला के पास बुनियादी ढांचा विकसित कर रहा है।
भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों ने वहां क्रेनों और निर्माण उपकरणों की आवाजाही देखी है। चीन माडल गांवों के नाम पर स्थायी एकीकृत रिहायशी बुनियादी ढांचों का भी निर्माण कर रहा है। ऐसे गांवों को पूरी एलएसी पर देखा गया है। शीर्ष सूत्रों ने बताया कि पैंगोंग झील के पास रुडोक में नए परिसर बन गए हैं। यह चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के गोबक कैंप से करीब 5.5 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित हैं।
पीएलए के ग्यांत्से कैंप के दक्षिण में भी निर्माण गतिविधियां देखी गई है। इन इलाकों में दो इमारतें, 12 शेड और अन्य ढांचे बन गए हैं। पीएलए कर्मियों के रहने के लिए चीन ने यातंग काउंटी के तहत देजाबु इलाके में एक नई इमारत और छह बंकरों का निर्माण भी किया है। कामेंग के सामने बम्ड्रो में शेल्टर बनाए गए हैं। मेरा ला, थग ला और यांगत्से इलाकों में गश्त के दौरान पीएलए कर्मियों के ठहराव के लिए डोमसोंगरोंग के नजदीक बम्ड्रो में कंक्रीट की छह से सात झोपडि़यां बनाई गई हैं। सांगसम को चायुल डीजे से जोड़ने वाली एक लेन वाली सड़क के निर्माण के बाद पीएलए ने वहां अब कैंप निर्माण का काम शुरू कर दिया है।
झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र में चीन ने सभी हिस्सों में हाईवे निर्माण परियोजनाओं को तेजी से बढ़ाना शुरू कर दिया है। 572 किमी ग्रामीण सड़क निर्माण परियोजनाओं के लिए निविदा कार्य पूरा कर लिया गया है और नए निर्माण शुरू हो गए हैं। चीन ने तिरकांगतो शिवांग ला से सड़क का निर्माण कर लिया है। तिरकांग गांव के दक्षिण पश्चिम में शियांग ला की ओर पहाड़ी के ऊपर की तरफ काम जारी है। तिरकांग गांव में दो मोबाइल टावर भी स्थापित किए गए हैं। तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के परिवहन विभाग ने भी सात परियोजनाएं शुरू की हैं।