वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव के बीच भारत ने अपनी सामरिक ताकत बढ़ा दी है। उल्लेखनीय है कि एलएसी पर करीब पांच माह से तनाव चल रहा है और कई जगहों पर तो भारत और चीन की सेनाएं आमने सामने हैं। किसी भी युद्ध की स्थिति से निपटने के लिए भारत ने चीन सीमा के नजदीक लद्दाख में अपनी स्वदेश निíमत निर्भय क्रूज मिसाइल की तैनाती कर दी है।
यह मिसाइल एक हजार किमी दूरी तक मार करने में सक्षम है। यह बिना भटके अपने निशाने पर अचूक वार करती है। यह दो चरणों वाली मिसाइल है। पहली बार में लंबवत और दूसरे चरण में क्षैतिज। यह पहले पारंपरिक रॉकेट की तरह सीधा आकाश में जाती है और फिर दूसरे चरण में क्षैतिज उड़ान भरने के लिए 90 डिग्री का मोड़ लेती है। इस तरह यह अपने लक्ष्य को निशाना बनाती है।
निर्भय मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पूर्णतया अपने दम पर बनाया है। इस मिसाइल में धीमी गति से आगे बढ़ने, बेहतरीन नियंत्रण एवं दिशा-निर्देशन, सटीक परिणाम देने तथा राडारों से बच निकलने की क्षमता है। यह सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल एडवांस्ड सिस्टम लैबोरेटरी (एएसएल) द्वारा विकसित की गई है। यह मिसाइल ठोस रॉकेट मोटर बूस्टर से सुसज्जित है। इसमें टबरे-फैन इंजन लगा है जो इसे आगे बढ़ाता है।
मिसाइल के निश्चित ऊंचाई और गति तक पहुंचने के बाद बूस्टर मोटर अलग हो जाता है। इसके बाद टबरे-फैन इंजन आगे के प्रक्षेपण के लिए स्वयं ही कार्य करने लगता है। ठोस रॉकेट मोटर बूस्टर से संचालित इस मिसाइल की परिचालनगत मारक क्षमता एक हजार किमी तक है। डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के मुताबिक यह मिसाइल रॉकेट से विमान और उसके पश्चात मिसाइल में तब्दील हो जाती है। लॉन्च करने के बाद निर्भय मिसाइल का रॉकेट मोटर बंद हो जाता है और पंख बाहर निकल आते हैं। उड़ान के रास्ते को स्थिर करने के लिए निर्भय मिसाइल में आधुनिक कंप्यूटर लगाए गए हैं। धरती से दिए गए कमांड पर इसके पंख खुलते हैं। अपनी खूबियों के कारण यह शत्रु के राडार में दिखाई नहीं देती है।
अमेरिका की टॉमहाक मिसाइल का जवाब मानी जाने वाली निर्भय एक सब सोनिक क्रूज मिसाइल है। धरती से सटकर चलने वाली यह मिसाइल दुश्मन की निगाह से बचकर हमला करती है। इस मिसाइल का प्रहार एकदम सटीक होता है। लंबे समय तक यह हवा में रहने में सक्षम है। लक्ष्य तक बढ़ने के लिए इसके भीतर ही एक विशेष सिस्टम लगा है। यह अनेक तरह की युद्धक सामग्री अपने साथ ले जा सकती है। यह अत्याधुनिक किस्म की बहु-उपयोगी क्रूज मिसाइल है, जिसे जल, थल और आकाश में सभी तरह के प्लेटफॉर्म से हर मौसम में दागा जा सकता है। इसे तीनों सशस्त्र सेनाओं की जरूरतों के मद्देनजर तैयार किया गया है।
यह मिसाइल एक साथ कई लक्ष्यों से निपट सकती है और कई लक्ष्यों के बीच में किसी खास लक्ष्य के चारों तरफ घूमकर उस पर हमला करने में सक्षम है। यह भारत की सामरिक मजबूती का एक विशेष कदम है। इस तरह भारत अपनी सबसे भरोसेमंद क्रूज मिसाइल निर्भय की तैनाती के बाद चीन से निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम हो गया है। इससे चीन के कई शहरों को निशाने पर लिया जा सकता है। पाकिस्तान का तो लगभग पूरा भौगोलिक दायरा इसकी जद में आ सकता है।
ब्रह्मोस मिसाइल : इन्हीं तैयारियों में शामिल है ब्रह्मोस मिसाइल मिसाइल की तैनाती। ब्रह्मोस मिसाइल भारत का सबसे बड़ा हथियार है। यह मिसाइल न केवल हवा से हवा में, बल्कि जमीन से भी हवा में मार कर सकती है। ब्रह्मोस मिसाइल मिसाइल को लद्दाख सेक्टर में पर्याप्त संख्या में तैनात किया गया है, जिसमें सुखोई-30 एमकेआइ लड़ाकू विमान से लेकर स्टैंड-ऑफ हथियार पहुंचाने का विकल्प है। इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल का उपयोग भारत के द्वीप क्षेत्रों में एयरबेस के जरिये हिंद महासागर में चॉक प्वाइंट बनाने के लिए किया जा सकता है।
वर्तमान समय में इस मिसाइल को थल, जल एवं नभ में कहीं से भी छोड़ा जा सकता है। यह मिसाइल जमीन के नीचे परमाणु बंकरों, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ान भर रहे लड़ाकू विमानों को निशाना बनाने में सक्षम है। सुखोई-30 एमकेआइ के साथ जोड़कर ब्रह्मोस मिसाइल का पहला परीक्षण 25 जून 2016 को किया गया था। सुखोई विमानों में ब्रह्मोस मिसाइलों को लगाए जाने से भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता काफी बढ़ चुकी है। अब सुखोई के जरिये हवा से जमीन पर मार करने में भारत सक्षम है।
संप्रति भारतीय वायु सेना पूरी दुनिया की अकेली ऐसी वायु सेना है, जिसके पास सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली है। अब वायु सेना दृश्यता सीमा से बाहर के लक्ष्यों पर भी हमला कर सकेगी। उसके अनेक विमानों में यह प्रणाली लगाई जा चुकी है। दुनिया की सबसे तेज गति वाली मिसाइलों में शामिल ब्रrाोस सर्वाधिक खतरनाक एवं प्रभावी शस्त्र प्रणाली है। यह न तो राडार की पकड़ में आती है और न ही दुश्मन इसे बीच में भेद सकता है। एक बार दागने के बाद लक्ष्य की तरफ बढ़ती इस मिसाइल को किसी भी अन्य मिसाइल या हथियार प्रणाली से रोक पाना लगभग असंभव है। इससे निश्चित तौर पर हमारी सैन्य ताकत में व्यापक बढ़ोतरी हुई है।