कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी शनिवार को जब जनसभा स्थल एमबी इंटर कालेज के खेल मैदान पहुंची तो उनके संग हल्द्वानी के दमुवाढूंगा निवासी लीला लटवाल भी थीं। 12 दिसंबर को घास लेने गई लीला पर तेंदुए ने हमला कर दिया था। मगर हिम्मत हारने की बजाय वह तेंदुए से भिड़ गई थी। दराती के वार होने पर गुलदार को भागना पड़ा। प्रियंका ने लीला से पूछा कि उन्हें डर नहीं लगा। जवाब मिला कि डरने से कुछ नहीं होता। इसलिए मैं लड़ी। प्रियंका ने तारीफ करते हुए कहा कि अब मुझे पता चला कि मेरी उत्तराखंडी बहनें कितनी मजबूत और निडर हैं।
दमुवाढूंगा से सटे जंगल में तीन माह के भीतर चार लोगों पर गुलदार और बाघ हमला कर चुके हैं। जिसमेेंं तीन लोगों की जान चली गई। सिर्फ लीला ने अपने हौंसले से खुद को बचा लिया। मंच पर लीला ने प्रियंका गांधी को कुमाऊंनी पिछोड़ा भी ओढ़ाया। जिसके बाद प्रियंका ने कहा कि मुझे आपसे मिलकर गर्व महसूस हो रहा है। लीला ने बताया कि इस घटना के अलावा प्रियंका ने उनसे महंगाई को लेकर भी बात की।
मेरी दादी की तरह हल्द्वानी को भी एक ‘इंदिरा’ मिली
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भाषण की शुरूआत में ही डा. इंदिरा हृदयेश को याद किया। प्रियंका ने कहा कि मेरी दादी इंदिरा गांधी अपने हृदय में हमेशा पहाड़ के विकास को रखती थीं। इसी तरह हल्द्वानी शहर को भी एक इंदिरा मिली…डा. इंदिरा हृदयेश। जिन्होंने दिन-रात शहर के लिए काम किया। खटीमा से यहां आने पर एहसास हुआ कि इंदिरा हृदयेश के शहर की सड़कें और विकास वहां से भी बेहतर है। विपक्ष की नेता बनने पर भी उन्होंने शहर को बेहतर करने के लिए पूरा प्रयास किया। उनके निधन की वजह से अब उनके बेटे सुमित हृदयेश चुनाव लड़ रहे हैं। सुमित में भी वहीं जज्बा है।
प्रियंका के सारथी बने सुमित
हेलीकाप्टर से प्रियंका गांधी रामपुर रोड स्थित एफटीआइ के हैलीपेड पहुंची थीं। जहां से सुमित हृदयेश उन्हें अपनी कार से लेकर सभास्थल से लेकर पहुंचे। वापसी में भी सुमित उनके सारथी बने। रास्ते में सड़क किनारे खड़े लोगों ने प्रियंका का स्वागत भी किया।