कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) आज यानी गुरुवार को अहम बैठक हो रही है। ईपीएफ केंद्रीय बोर्ड के ट्रस्टियों की बैठक श्रीनगर में होने वाली है। इस बैठक में 2020-21 के लिये ब्याज दर की घोषणा करने के प्रस्ताव पर फैसला किये जाने की संभावना है। इससे पहले पिछले साल मार्च में EPFO ने ब्याज दर घटाते हुए 8.5 फीसद कर दी थी। यह सात साल की सबसे कम ब्याज दर है। बोर्ड ने पहले कहा था कि वह 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए अपने ग्राहकों के लिए दो किश्तों में 8.5% ब्याज का भुगतान करेगा। इसमें एक हिस्सा 8.15% फीसदी का और दूसरा 0.35% का रहा।
ईपीएफओ के न्यासी केई रघुनाथन ने कहा कि उन्हें न्यासियों के केंद्रीय बोर्ड की अगली बैठक श्रीनगर में चार मार्च को होनी है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अंतरिम पत्र में बैठक के एजेंडे का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। इस बात की अटकलें हैं कि ईपीएफओ इस वित्त वर्ष (2020-21) के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर घटा सकता है, जो 2019-20 के लिये 8.5 फीसद थी।
शनिवार को जारी पेरोल के आंकड़ों के अनुसार, ईपीएफओ के लिए नया नामांकन दिसंबर, 2020 में 24% बढ़कर 12.54 लाख हो गए। श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ईपीएफओ का अनंतिम पेरोल डेटा ईपीएफ के लिए एक सकारात्मक को दिखाता है। ग्राहक आधार वृद्धि Covid 19 महामारी के बावजूद, EPFO ने चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों के दौरान लगभग 53.70 लाख ग्राहक जोड़े।
ईपीएफओ ने 2016-17 के लिए अपने ग्राहकों को 8.65 फीसद और 2017-18 में 8.55 फीसद ब्याज दर दी थी। 2015-16 में ब्याज दर 8.8 फीसद से थोड़ी अधिक थी। इसने 2013-14 के साथ-साथ 2014-15 में 8.75 फीसद ब्याज दर दी थी। दरअसल, कोरोना संकट के दौर में खाताधारकों ने पीएफ से बड़ी रकम की निकासी की है।
मालूम हो कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की ओर से नियमों में बदलाव के बाद EPF से आंशिक या पूर्ण निकासी करना आसान और तेज हो गया है। ईपीएफओ ने कर्मचारी को जोब छोड़ देने के एक महीने के बाद ईपीएफ फंड से 75 फीसद तक की राशि की निकासी कर सकते हैं। सब्सक्राइबर्स ऑनलाइन आंशिक निकासी कर सकते हैं।