दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली ने पराली का हल ढूंढ लिया है। इसका हल बायोडिकम्पोजर से मिला है। दिल्ली सरकार ने बायोडिकम्पोजर को प्रभावी ढंग से लागू किया है। दिल्ली के 39 गांवों में इसे लागू किया है। इससे किसान भी खुश हैं। यह एक अलग तरह की प्रक्रिया है, इसके तहत धान की फसल काट लेने के बाद जो पराली बचती है इसे रसायन द्वारा खेत में ही गला दिया जाता है। यह ऐसा रसायन है जो खेत को नुकसान नही पहुंचाता है।
केंद्र सरकार की एक एजेंसी ने भी इसे ठीक पाया है। इस एजेंसी ने गांव गांव जाकर किसानों से बात की है। पहले औद्योगिक कार्बन बढ़ रहा था, जो अब कम हुआ है। मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। लगभग आधे किसानों ने माना है कि इसके उपयोग से पैदावार बढ़ी है। हम पड़ोसी राज्यों के किसानों से अपील करते हैं कि वे भी इसे लागू करें। केंद्र सरकार भी इस बारे कदम उठाए। ये रिपोर्ट लेकर हम जल्द ही केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता 10 अक्टूबर के आसपास फिर से खराब हो जाएगी और नवंबर अंत तक इसी तरह जारी रहेगी, मुख्य रूप से पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने के कारण ऐसा होगा। पिछले साल, दिल्ली सरकार ने एक समाधान निकाला। पूसा इंस्टीट्यूट ने इससे निपटने के लिए बायो डीकंपोजर बनाया। बायो डीकंपोजर ने उत्साहजनक परिणाम दिए है, यदि सभी मिलकर इसे लागू करेंगे तो आने वाले दिनों में वायु प्रदूषण के जो हालात हर साल देखने को मिलते हैं उससे कुछ हद तक छुटकारा जरूर मिल जाएगा। मगर इसके लिए सभी को मिलकर कदम उठाना होगा। केंद्र सरकार को भी इस दिशा में सख्ती करनी होगा बने हुए कानूनों को सख्ती से लागू करवाना होगा जिससे ऐसी समस्या इस बार न पैदा होने पाएं।