कोरोना से उबरने के क्रम में दिल्ली-एनसीआर के स्कूल अभी पूरी तरह से खुले भी नहीं थे कि वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर के चलते इन्हें फिर से बंद करने के हालात बन गए हैं। सिर्फ यही नहीं, भवन निर्माण कार्य और डीजल वाहनों पर रोक लगाने की भी आशंका गहरा गई है। अगर 48 घंटे तक वायु प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ तो सीपीसीबी की उप समिति की ओर से राज्य सरकारों को इस दिशा में एडवाइजरी जारी कर दी जाएगी।
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के अनुसार यदि पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 48 घंटे तक क्रमश: 300 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर व 500 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर बना रहता है तो इसे वायु गुणवत्ता को आपातकालीन श्रेणी में माना जाता है। ऐसे में सीपीसीबी की उप समिति ग्रेप का चौथा और आखिरी चरण लागू करने के दिशा निर्देश जारी कर सकता है। ग्रेप के चौथे चरण के अनुसार, आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर दिल्ली में डीजल ट्रकों का प्रवेश रोक दिया जाएगा। भवन निर्माण कार्य पर रोक लगा दी जाएगी। टास्क फोर्स या उप समिति स्कूल बंद करने या कोई और अतिरिक्त कदम उठाए जाने के बारे में भी फैसला कर सकती है।
मौसम विभाग के मुताबिक, एक सप्ताह हालात ऐसे ही रहेंगे। अगले तीन-चार दिन में अधिकतम तापमान 24 और न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस तक आ जाएगा। कोहरा भी गहराने लगेगा। इस दौरान हवा की रफ्तार भी इतनी नहीं होगी कि प्रदूषक कणों को वह बहा सके। सीपीसीबी की उप समिति के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि सारे हालात पर नजर रखी जा रही है। पराली का धुआं समस्या को और विकट बना रहा है। वायु प्रदूषण का यह खतरनाक स्तर कोरोना संक्रमण को बढ़ाने का कारक भी बन सकता है। दो दिन बाद फिर से उप समिति की बैठक संभावित है, जिसमें आगे के हालात को ध्यान में रखकर निर्णय लिए जाएंगे।
एयरपोर्ट पर दृश्यता कम, पर विमान सेवाएं जारी रहीं
बदल रहे मौसम व प्रदूषण के कारण इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर दृश्यता कम होने लगी है। शुक्रवार को एयरपोर्ट के रनवे पर भी कम दृश्यता रही, हालांकि सुकून की बात यह रही कि विमान सेवाओं पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
शुक्रवार सुबह 5.50 बजे रनवे पर दृश्यता का स्तर 600 मीटर था। लेकिन करीब ढाई घंटे के बाद दृश्यता का स्तर कम होकर 500 मीटर पहुंच गया। जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को एयरपोर्ट के आसपास की अधिकतम दृश्यता 800 मीटर रही। बता दें, एयरपोर्ट पर सामान्य तौर पर एक हजार मीटर से अधिक दृश्यता होनी चाहिए। इससे कम दृश्यता होने पर विमान संचालन में दिक्कत होने लगती है। हालांकि, अत्याधुनिक तकनीक व पायलटों की कुशलता के कारण अब कम दृश्यता में भी विमानों का संचालन कुशलतापूर्वक किया जाता है।