एक बार फिर भाजपा सरकार के लिए ताबड़तोड़ चुनावी जनसभाएं कर रहे उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का स्पष्ट तौर पर कहना है कि भाजपा में ही पिछड़ों का सम्मान है। हिन्दू ही नहीं मुस्लिम समाज के लगभग 85 प्रतिशत पिछड़े यानी पसमांदा मुसलमानों का भी मोदी-योगी की सरकार में पूरा ख्याल रखा गया जबकि सपा व विपक्षी पार्टियों ने इन्हें सिर्फ वोट बैंक समझा। अपनी ओर इशारा करते हुए केशव कहते हैं कि मेरे जैसे पिछड़े का उप मुख्यमंत्री बनना, भाजपा में पिछड़ों के सम्मान का जीता-जागता उदाहरण है। सत्ता में भाजपा की वापसी के प्रति आश्वस्त मौर्य कहते हैं कि हम तो सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहे हैं। डबल इंजन सरकार के काम से जिस तरह जनता उत्साहित है उससे हमारा प्रदर्शन वर्ष 2017 से भी बेहतर रहने वाला है। संघ कार्यकर्ता से लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तक रह चुके केशव प्रसाद मौर्य ने चुनावी व्यस्तताओं के बीच कालिदास मार्ग स्थित सात नंबर बंगले पर दैनिक जागरण से बात की। प्रस्तुत है प्रमुख अंश…
सवाल : विपक्ष का दावा है कि दो चरणों के चुनाव में भाजपा को पहले से आधी सीटें भी नहीं मिलेंगी?
जवाब : विपक्ष का दावा फिर फेल होगा। लोकसभा चुनाव में भी विपक्ष ने ऐसा ही दावा किया था लेकिन सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद हमने वर्ष 2014 जैसा प्रदर्शन किया। इस चुनाव में भी वर्ष 2017 से बेहतर प्रदर्शन दोहराएंगे।
सवाल : अगले चरणों के चुनाव में कैसी चुनौतियां हैं?
जवाब : चुनौतियां भाजपा के सामने नहीं बल्कि विपक्ष के लिए हैं। हम तो सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहे है। मुझे भरोसा है कि हमारा प्रदर्शन और बेहतर रहने वाला है।
सवाल : भाजपा पर पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कई मंत्री-विधायकों के दूसरी पार्टी में जाने से क्या नुकसान होगा?
जवाब : अरे, भाजपा को नुकसान होने वाला नहीं है। भाजपा छोड़ने वाले नेताओं की राजनीति पर जरूर असर दिख रहा है। मसलन, स्वामी प्रसाद मौर्य को ही देखिए जिनको सीट तक बदलनी पड़ी है। मौर्य तो भाजपा छोड़ने वाले समूह के स्वामी थे, जब उनकी यह गत है तो अन्य के बारे में अंदाजा लगा सकते हैं।
सवाल : पिछड़ों-दलितों के लिए क्या खास किया है कि वह फिर भाजपा के साथ रहें?
जवाब : हमारी सरकार ने वंचितों के लिए काम करते हुए कानून व्यवस्था बनाए रखी। ऐसे में इनका हम पर भरोसा बढ़ा है जिसका फायदा हमें मिलेगा। पिछड़ों को सरकार और पार्टी में उचित प्रतिनिधित्व भी दिया गया है जिसका उदाहरण मैं खुद हूं।
सवाल : भाजपा पर सांप्रदायिक ध्रवीकरण के आरोपों पर क्या कहना है?
जवाब : यही कहूंगा कि ऐसा होता तो भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी न होती। नरेन्द्र मोदी फिर प्रधानमंत्री न बनते और कई राज्यों में भाजपा सरकारें न होती। दरअसल, विपक्ष इस कड़वी सच्चाई को स्वीकारने से बच रहा है कि उसका सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का औजार भोथरा हो गया है। भाजपा सिर्फ विकास की जबकि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति तो सपा करती है। कैराना जैसे मुद्दे पर सपा सरकार की चुप्पी और पीड़ित वर्ग की अनदेखी उनकी तुष्टिकरण की राजनीति का प्रमाण नहीं तो क्या?
सवाल : आपके विरोधी वोटों का ध्रुवीकरण सपा के पक्ष में होने से भाजपा को क्या नुकसान होगा?
जवाब : ऐसा नहीं लगता। कांग्रेस और बसपा एक रास्ते पर है। यह चुनाव कानून-व्यवस्था, सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास बनाम माफिया, अपराधी है। ऐसे में भाजपा की किसी से कोई टक्कर नहीं है।
सवाल : धर्म-जाति की बातें हो रही जबकि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व गरीब कल्याण-विकास की बात करता है।
जवाब : देखिए, प्रदेश भाजपा अपने शीर्ष नेतृत्व की सोच के मुताबिक उसके मार्गदर्शन में ही काम करती है। मोदी-योगी सरकार की मुफ्त राशन, आयुष्मान या फिर प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं को बिना भेदभाव लागू किया गया है। सरकार की कड़ाई से अपराधियों के पलायन का फायदा तो समाज के सभी वर्गों को मिलता है।
सवाल : विपक्षी के भाजपा पर जातिवादी होने के आरोप पर क्या कहना है?
जवाब : सबसे बड़े जातिवादी तो हमारे विपक्ष के साथी हैं। कांग्रेस तो न तीन में और न ही तेरह में है। सपा-बसपा से बड़ा जातिवादी कौन है? जाति विशेष के ठप्पे के साथ सपा की पहचान गुंडों-माफिया को संरक्षण देने वाली है। सपा सरकार में अराजक तत्व खुद को मुख्यमंत्री समझते थे और अखिलेश असहाय होकर देखते थे। वे पिछड़ों के उत्पीड़क के तौर पर जाने जाते हैं।
सवाल : मोदी जी कहते हैं एक समाज के जातियों में बंटे होने का विश्लेषण होता है, लेकिन मुस्लिम समाज के पिछड़ों की चर्चा नहीं होती…
जवाब : मोदी जी ने गरीबी सही है और गरीबी का कोई धर्म नहीं होता। जहां तक मुस्लिम समाज में पिछड़ों का सवाल है तो आपको हैरानी होगी कि उसमें करीब 85 प्रतिशत पसमांदा यानी पिछड़े मुस्लिम हैं। यह वही हैं जो हिंदू पिछड़ी व दलित जातियों से धर्मांतरित होकर मुसलमान बने लेकिन उन्हें समानता का अधिकार नहीं मिला। पसमांदा मुस्लिम राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक रूप से वंचित ही रहे हैं। शेष 15 प्रतिशत अरब-मध्य एशिया के मुसलमानों का वंशज बताते वाले अपने को कुलीन मानते हैं। कांग्रेस, सपा या बसपा के साथ सत्ता में रहने से इनकी ही आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।
सवाल : …भाजपा ने पसमांदा मुस्लिम के लिए क्या किया?
जवाब : मोदी सरकार ने इस समाज की तरफ गंभीरता से ध्यान दिया है। हुनरमंदी और दस्तकारी से नाता रखने वाले पसमांदा कारीगरों को हुनर हाट से जोड़ने पर उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। अल्पसंख्यक आयोगों में पसमांदा समाज को प्रतिनिधित्व मिल रहा। कल्याणकारी योजनाओं का 35 प्रतिशत लाभ इसी समुदाय को हो रहा है। तीन तलाक कानून से मुस्लिम बहनों को तलाक के दंश से मुक्त किया गया। मोदी जी ने जहां पसमांदा मुस्लिम और मुस्लिम बहनों का पूरा ख्याल रखा वहीं सपा और विपक्षी दलों ने उन्हें सिर्फ वोट बैंक समझा।
सवाल : …फिर अल्पसंख्यकों का क्यों नहीं भरोसा जीत सके?
जवाब : भरोसा एक दिन में नहीं धीरे-धीरे जीता जाता है। तीन तलाक़ क़ानून से मुस्लिम महिलाओं का हम पर भरोसा बढ़ा है। आर्थिक स्थिति सुधरने से पसमांदा मुस्लिम समाज भी हमारी ओर आ रहे हैं। पहले दोनों चरणों में मुस्लिम बहनों ने मोदी–योगी पर विश्वास जताते हुए हमें वोट दिया है।
सवाल : अखिलेश कहते हैं कि योगी जी हमारे कामों का फीता काटते रहे।
जवाब : सपा सरकार में तो केवल सैफई में विकास हुआ जिसके फ़ीते अखिलेश ने खुद काटे। शेष यूपी से उनका कोई वास्ता ही नहीं रहा जिससे उनके कामों का फ़ीता काटने का सवाल कहां? हम तो शिलान्यास के साथ ही फीता भी काटते हैं।
सवाल : अखिलेश भाजपा पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते है?
जवाब : यह आरोप भी अपने में एक मजाक है। योगी सरकार में अपराधी या तो जेल या राज्य के बाहर या फिर सपा उम्मीदवारों की सूची में, एनकाउंटर से भी उनकी सफाई हुई है। जनता जानती है कि कौन क्या है? दरअसल, माफिया-अपराधियों को संरक्षण देने वालों को योगी सरकार की कानून-व्यवस्था की तारीफ हजम नहीं होती इसलिए वे अनर्गल आरोप लगाते हैं।
सवाल : राज्यों के चुनाव में पीएम मोदी जी को क्यों कमान संभालनी पड़ती है?
जवाब : प्रधानमंत्री होने के साथ नरेन्द्र मोदी जी हमारे सबसे बड़े नेता हैं। वे खुद को भी भाजपा कार्यकर्ता मानते हुए चुनाव अभियान का हिस्सा बनते हैं। दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं में मोदी जी की बातों का सभी अमल करते हैं। उनके मन की बात कार्यक्रम को देश सुनता है, वो खुद लोगों से संवाद करते हैं। हमारे प्रधानमंत्री तो हर भारतीय के दिल में रहते हैं।
सवाल : सपा, बसपा और कांग्रेस में किसे प्रमुख प्रतिद्वंदी मानते हैं?
जवाब : किसी को नहीं, कांग्रेस के बारे में पहले ही बता चुका हूं। कांग्रेसी सीएम द्वारा यूपी के लोगों को अपमानित करने पर प्रियंका वाड्रा ताली बजाती हैं। राहुल गांधी को दक्षिण की तुलना में उस उत्तर भारत के लोग कम समझदार लगते हैं जिसने उनके परिवार से तीन प्रधानमंत्री दिए। जहां तक सपा की बात है तो वह खुद ही माफिया-अपराधियों की पीठ पर सवार है और बसपा भी साफ है। यूपी वालों को गुंडा कहने वाली ममता बनर्जी से हाथ मिलाया है। ये सभी यहां के लोगों की भलाई के दुश्मन हैं।