प्रदेश सरकार अब खेलों के विकास पर फोकस करने जा रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री विकास निधि का गठन किया जाएगा। इस निधि में जीडीपी का एक प्रतिशत खेलों के विकास पर खर्च करने का प्रविधान किया गया है। आबकारी विभाग पर 0.5 प्रतिशत खेल सेस भी लगाया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने की व्यवस्था भी प्रस्तावित है। इसके अलावा खेल प्रतियोगिताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर से राज्य स्तर तक 21 श्रेणियों में विभाजित करते हुए पदक विजेताओं को नकद पुरस्कार व पेंशन देने की योजना भी है।
सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में खेल विभाग की बैठक के बाद खेल मंत्री अरविंद पांडेय ने प्रदेश की प्रस्तावित नई खेल नीति का मसौदा सार्वजनिक किया। प्रस्तावित खेल नीति में खेलों को तीन श्रेणियों विभाजित किया गया है। इसमें कोर खेल विधाएं, गैर कोर खेल विधाएं और परंपरागत खेल शामिल किए गए हैं। इन खेलों के हिसाब से प्रशिक्षण देने की व्यवस्था बनाई गई है। नीति में खेलों में आधुनिक तकनीक के बढ़ते हुए प्रयोग को देखते हुए खेल विज्ञान केंद्रों की स्थापना करने पर जोर दिया गया है। यहां खिलाड़ियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रदेश के हर जिले में खेलों के महत्व और रुचि के हिसाब से खेल हब बनाए जाएंगे। इसके अलावा खेल विशेष में खिलाड़ियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण देने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की जाएगी। प्रस्तावित नीति में खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों के साथ ही स्पोर्ट स्टॉफ को पुरस्कृत करने का भी प्रविधान किया गया है। कुशल खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर समूह क, ख और ग में भर्ती किया जाना प्रस्तावित है। इसके साथ ही परिवहन निगम की बसों में मुफ्त सफर की सुविधा देने की व्यवस्था भी की गई है। खिलाड़ियों द्वारा अच्छा प्रदर्शन किए जाने पर आउट ऑफ टर्न प्रोमोशन का भी प्रविधान किया गया है। कॉलेजों में भी कुशल खिलाड़ियों के लिए पांच प्रतिशत खेल कोटा रखा गया है। नीति में निजी क्षेत्र के सहयोग से चुनिंदा खेलों में प्रीमियर लीग कराने व बड़ी प्रतियोगिताएं कराने की व्यवस्था भी रखी गई है।