कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत सरकार ने वैक्सीन की घरेलू मांग पर ध्यान केंद्रित करने का किया फैसला

नई दिल्‍ली, कोरोना महामारी से छुटकारा पाने के लिए इस समय हर देश वैक्‍सीन की ज्‍यादा से ज्‍यादा खुराक चाहता है। भारत इस समय पाकिस्‍तान, नेपाल समेत कई देशों को कोरोना वैक्‍सीन सप्‍लाई कर रहा है। हालांकि, यूनिसेफ ने कहा है कि भारत की ओर से ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन्स एंड इम्युनाइजेशन (GAVI) समझौते के तहत मार्च और अप्रैल में मिलने वाली कोरोना वायरस वैक्‍सीन की आपूर्ति में देरी होने की संभावना है।

यूनिसेफ ने कहा, ‘हम समझते हैं कि कोवैक्‍स (COVAX) सुविधा में दी जाने वाली कोविड-19 (COVID-19) टीकों की आगे की खुराक के लिए निर्यात लाइसेंस हासिल करने में झटका लगने के बाद कोवैक्‍स सुविधा में भाग लेने वाली निम्न-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं को कोविड-19 टीके की डिलीवरी में देरी की संभावना होगी।

दरअसल, कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत सरकार ने वैक्सीन की घरेलू मांग पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है। वैक्सीन के निर्यात के दायरे को फिलहाल दो-तीन महीने तक बढ़ाया नहीं जाएगा। इस घटनाक्रम से जुड़े लोगों ने बुधवार को यह जानकारी दी। हालांकि, जानकारों ने बताया कि व्यावसायिक करार और पहले से निर्धारित निर्यात प्रतिबद्धताओं को पूरा किया जाएगा।

भारत इस महामारी से निपटने में दूसरे देशों की मदद भी जारी रखेगा। अभी तक भारत ने करीब 80 देशों को कोरोना रोधी वैक्सीन की 6.04 करोड़ डोज की आपूर्ति की है। भारत की तरफ से इनमें से कुछ डोज मदद के तौर पर भेजी गई है। जबकि, कुछ व्यावसायिक करार और कुछ कोवैक्स के जरिये निर्यात की गई हैं। कोवैक्स संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक अंतरराष्ट्रीय पहल है जिसका मकसद सभी देशों के बीच कोरोना वैक्सीन का समान वितरण सुनिश्चित करना है।

गौरतलब है कि एक अप्रैल से 45 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों का टीकाकरण होना है, ऐसे में देश में बड़े पैमाने पर टीके की जरूरत होगी।

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