बेंगलुरु, कर्नाटक सरकार ने प्रदेश के सभी स्कूल, कॉलेजों के लिए सुबह की प्रार्थना में राष्ट्रगान अनिवार्य करने का आदेश दिया है। ये आदेश प्रदेश के सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और गैर सरकारी स्कूलों में लागू होगा। कर्नाटक की भाजपा सरकार के इस फैसले को हाल ही में कई शहरों में हुए सावरकार बनाम टीपू सुल्तान पोस्टर विवाद के बाद एक बड़ा फैसला बताया जा रहा है। वहीं, राष्ट्र में राष्ट्रवाद की हवा को दिशा देने के कदम से भी जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, कर्नाटक एजुकेशन एक्ट, 1983 में राष्ट्रगान को लेकर साफ नियम हैं।
द हिंदू की खबर के मुताबिक, कर्नाटक शिक्षा अधिनियम, 1983 की धारा -7(2)(G)(i), के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना और सभी स्कूलों में सुबह सामूहिक प्रार्थना में नियमित रूप से राष्ट्रगान गाना अनिवार्य है। लेकिन समस्या यह आ रही थी कि कुछ प्राइवेट स्कूल इस नियम को नहीं मान रहे थे। ऐसे में सरकार द्वारा बुधवार को आदेश जारी कर ऐसे स्कूलों को चेताया गया।
डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंस्ट्रक्शन के डिप्टी डायरेक्टर , बेंगलुरु-उत्तर और दक्षिण ने पिछले दिनों कुछ निजी स्कूलों का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने पाया कि कुछ संस्थानों में सुबह की प्रार्थना में राष्ट्रगान गाना नहीं गाया जा रहा था। इसके बाद सरकार ने आदेश जारी कर राष्ट्रगान की अनिवार्यता को लेकर स्कूलों को चेताया। इस बीच जगह की कमी का हवाला दे रहे कुछ संस्थानों के लिए कक्षा के भीतर राष्ट्रगान गाने की अनुमति दी है।
बता दें कि भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ है, जो जन-जन में देशप्रेम की भावना को जागृत करता है। यह मूलतः बांग्ला भाषा में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखा गया था। भारत सरकार द्वारा 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रूप में अंगीकृत किया गया। इसके गायन की अवधि लगभग 52 सेकेंड निर्धारित है। साथ ही इसे गाने के कुछ नियम भी हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होता है।