भारत और चीनी सैनिकों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)पर हिंसक झड़प के बाद उभरे तनाव के बाद एक बार फिर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुखों (सेना, नौसेना और वायु सेना) और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत के साथ बैठक की। उन्होंने मौजूदा स्थिति पर भी विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी बात की।
गलवन क्षेत्र में 20 सैनिकों की मौत के बाद भारतीय रणनीतिकार हालात की समीक्षा और भावी कदम को लेकर गहन विमर्श में जुटे हुए हैं। मंगलवार सुबह से बैठकों का दौर जो शुरू हुआ है वह रायसीना हिल्स में देर रात तक चला है। बुधवार को भी रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के बीच विमर्श का सिलसिला शुरू हो गया है।
भारतीय रणनीतिकारों के लिए चीन का नया आक्रामक रवैया सिर्फ इसलिए चिंता का कारण नहीं है कि वह घात लगाकर हमला किया है बल्कि उसने समूचे गलवन क्षेत्र को चीन का हिस्सा घोषित कर दिया है। यह घोषणा चीन के विदेश मंत्रालय ने नहीं बल्कि चीनी पीपुल्स आर्मी ने की है। इसका साफ मतलब है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के आगे उस हिस्से पर वह दावा कर रहा है, जो अभी तक भारत के नियंत्रण में रहा है। भारतीय विदेश और रक्षा मंत्रालय के बीच विमर्श हो रहा है, उसमें इसका काट खोजने पर जोर है।
जारी तनातनी के बीच हिंसक झड़प
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास अतिक्रमण को लेकर दोनों सेनाओं में जारी तनातनी के बीच सोमवार रात को हिंसक झड़प हुई। इसमें एक कर्नल सहित 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए। ये सभी शहीद जवान बिहार रेजीमेंट के हैं। चीनी पक्ष को भी भारी नुकसान हुआ है। उसके भी 43 सैनिकों के मारे जाने की खबर है। हालांकि, इस दौरान दोनों ओर से एक भी गोली नहीं चली। गलवन क्षेत्र में दोनों तरफ से ऐसी झड़प पिछले कई दशकों से नहीं हुई थी। इससे पहले 45 वर्ष पहले 1975 में ऐसा हुआ था।