धामी सरकार के मंत्री इन दिनों धुआंधार बैटिंग में जुटे पड़े हैं। मुख्यमंत्री समेत मंत्रिमंडल में केवल नौ सदस्य हैं तो स्वाभाविक रूप से एक मंत्री के पास कई विभागों का जिम्मा है। कुर्सी संभाले दो महीने भी नहीं हुए, लेकिन मंत्री हैं कि ताबड़तोड़ बैठकें कर एक तीर से कई निशाने साध रहे हैं। सरकारी योजनाओं की समीक्षा हो गई और साथ ही अफसरों को भी दे दिया सख्त लहजे में संदेश कि काम में हीलाहवाली कतई नहीं चलेगी।
कुछ मंत्री तो अलग-अलग जिलों में पहुंचकर विभागीय कामकाज का जायजा लेने बाकायदा छापेमारी तक कर चुके हैं। वैसे, इस तरह की सक्रियता सब को भा रही है, लेकिन यह भी सच है कि इसके मूल में कहीं न कहीं सौ दिन का लक्ष्य है। दरअसल, सरकार के शुरुआती सौ दिन के रोडमैप पर मंत्रियों के कदम किस तरह आगे बढ़ रहे हैं, इस पर हाईकमान तक की नजर है।
भाजपा चम्पावत में और कांग्रेस चुनाव आयोग में सक्रिय
विधानसभा चुनाव के ढाई महीने बाद ही भाजपा और कांग्रेस फिर आमने-सामने हैं, मैदान है चम्पावत का। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए भाजपा विधायक कैलाश गहतोड़ी ने सीट खाली की। कांग्रेस ने दावा किया कि मुख्यमंत्री को वाकओवर नहीं दिया जाएगा और पार्टी उप चुनाव में पूरी ताकत झोंकेगी। यह बात अलग है कि प्रत्याशी निर्मला गहतोड़ी के नामांकन में न पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पहुंचे और न प्रीतम सिंह, जो पिछली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे।
हां, इतना जरूर है कि भाजपा पर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगा कांग्रेस नेता मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में ज्ञापन देने का कोई अवसर नहीं चूक रहे हैं। अब तो भाजपा नेता चुटकी भी लेने लगे हैं कि कांग्रेस चम्पावत के चुनाव मैदान में भाजपा का सामना नहीं कर पा रही है, लिहाजा निर्वाचन आयोग के दर पर दस्तक देकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की औपचारिकता निभा रही है।
आगाज तो बेहतर है, अब अंजाम पर रहेगी नजर
उत्तराखंड में नौकरशाही की मनमानी जन्म से ही चली आ रही है। मंत्री और विधायक तक सार्वजनिक मंचों पर अपनी व्यथा प्रकट कर चुके हैं। पिछली सरकार के समय तो मुख्य सचिव को आदेश जारी करने पड़े कि जन प्रतिनिधियों के साथ अधिकारियों का व्यवहार किस तरह होना चाहिए। दिलचस्प यह कि दोबारा पद संभालते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नौकरशाही के पेच कसने की शुरुआत कर दी है।
हाल में मुख्य सचिव ने दो आदेश जारी किए। पहला यह कि सोमवार को शासन में कोई बैठक नहीं होगी, ताकि आम जन अधिकारियों से मिल अपनी समस्याएं रख सकें। दूसरा आदेश यह कि मंगलवार और गुरुवार को शासन में ऐसी कोई बैठक नहीं होगी, जिसमें जिले के अधिकारियों को भी शामिल होना होता है। इन दो दिन अधिकारी अपने जिलों में जनता के लिए उपलब्ध रहेंगे। आगाज तो अच्छा है, देखते हैं नौकरशाही इसे किस अंजाम तक पहुंचाती है।
भगवान के घर पर अब कोई नहीं होगा वीआइपी
उत्तराखंड में चार धाम यात्रा ने इस वर्ष शुरुआती दो सप्ताह में ही पुराने रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। कोरोना महामारी के कारण पिछले दो वर्ष यात्रा सीमित रही, इसलिए इस बार श्रद्धालु चार धाम के दर्शन का अवसर नहीं चूकना चाहते। सरकार ने तैयारी तो पूरी की, लेकिन तीर्थयात्रियों की भारी संख्या के समक्ष ये भी कम पड़ गईं। सरकार ने व्यवस्था बनाने को चारों धाम में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की संख्या का निर्धारण कर दिया।
साथ ही पंजीकरण भी अनिवार्य कर दिया गया। इसके अलावा मुख्यमंत्री धामी की पहल पर सरकार ने एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया कि अब किसी भी धाम में वीआइपी दर्शन नहीं होंगे। कोई भी विशिष्ट व्यक्ति हो, उसे आम श्रद्धालु की ही तरह पंक्तिबद्ध होकर दर्शन करने पड़ेंगे। सरकार के इस कदम की सर्वत्र सराहना हो रही है। बात भी उचित है, भला भगवान के घर पर कौन आम और कौन खास।