संसद के 14 सितंबर से शुरू हो रहे मानसून सत्र में हिस्सा लेने के लिए सांसदों को अपनी, अपने परिवार के सदस्यों और नजदीकी संपर्क वाले व्यक्तियों की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट लानी होगी। लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों द्वारा जारी विस्तृत दिशानिर्देशों के मुताबिक, नजदीकी संपर्क वाले व्यक्तियों में सांसदों के निजी सहायक, निजी सचिव, चालक और घरेलू सहायक या सहायिका शामिल हैं।
सांसदों को कोरोना टेस्ट मानसून सत्र शुरू होने से 72 घंटे पहले कराना होगा। यह टेस्ट वे अपने संसदीय क्षेत्र या संसद परिसर में करा सकते हैं। पॉजिटिव पाए जाने पर सांसद को डॉक्टर की सलाह पर आइसोलेशन में जाना होगा या अस्पताल में भर्ती होना होगा।
अगर सांसद का कोई परिजन या निजी सहायक या निजी सचिव या घरेलू सहायक/सहायिका पॉजिटिव पाई जाते हैं तो सांसद को हाई रिस्क जोन में माना जाएगा और उन्हें 14 दिन के क्वारंटाइन में जाना होगा। नौ पेज के दिशानिर्देशों के मुताबिक, सांसदों के अलावा लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के कर्मचारियों को भी अपना कोरोना टेस्ट कराना होगा। इसमें मंत्रालयों के अधिकारियों से लेकर मीडिया के लोग भी शामिल हैं। जरूरत पड़ी तो सत्र चलने के दौरान भी कोरोना संक्रमण की रैंडम टेस्टिंग भी कराई जाएगी।
कोरोना प्रोटोकॉल को लेकर ओम बिड़ला ने की थी बैठक
बता दें कि मानसून सत्र को लेकर पिछले दिनों लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने बैठक की थी। कोरोना प्रोटोकॉल्स के लिए दिशा निर्देश दिए गए थे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने दोनों सदनों के महासचिवों, सीपीडब्ल्यूडी और एनडीएमसी प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। लोकसभा अध्यक्ष ने शारीरिक दूरी और अन्य कोरोना प्रोटोकॉल्स के लिए इंतजाम करने के लिए निर्देश दिए थे।
लोकसभा अध्यक्ष ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे कि मानसून सत्र के दौरान शारीरिक दूरी और अन्य कोरोना प्रोटोकॉल सुनिश्चित करने के लिए समयबद्ध तरीके से व्यवस्था की जाए। उन्होंने सुरक्षा और सफाई व्यवस्था के लिए उचित व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया था।