गैरसैंण। केंद्र सरकार की तर्ज पर उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने भी खेती-किसानी की तस्वीर संवारने पर खास फोकस किया है। सरकार के मौजूदा बजट में भी कृषि एवं कृषि से संबंधित सहायक गतिविधियों से जुड़े पहलुओं को समग्रता से समझते हुए इसके लिए कई कदम उठाने का प्रविधान किया गया है। मंशा यही है कि किसानों की आय दोगुना हो। जाहिर है कि अन्नदाता खुशहाल होगा तो राज्य में भी खुशहाली आएगी। विभिन्न योजनाओं में किए गए बजट प्रविधान सरकार के इरादों को प्रदर्शित करते हैं।
त्रिवेंद्र सरकार ने अपने पिछले बजट की भांति इस बार भी राज्य के 8.82 किसानों की चिंता पर अधिक ध्यान केंद्गित किया है। पिछले चार वर्षों में सरकार ने कृषि, औद्यानिकी, दुग्ध विकास, सहकारिता, मत्स्य, जलागम, सिंचाई, खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों के लिए मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजना, जैविक कृषि एक्ट, नर्सरी एक्ट, एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम जैसी योजनाएं संचालित की हैं। साथ ही खेती की सेहत जांचने को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के जरिये परीक्षण कराया जा रहा है। मृदा परीक्षण की संस्तुतियां अपनाने से अब तक जहां 1.17 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों की खपत कम होने से 202 करोड़ की बचत हुई है। वहीं भूमि की उर्वरता में सुधार हुआ है। जैविक कृषि के तहत कही राज्य के कुल कृषि क्षेत्रफल का 33 फीसद क्षेत्र आच्छादित है।
परंपरागत कृषि विकास योजना में 3900 क्लस्टरों में 7800 हेक्टेयर को शामिल किया गया है। वर्तमान में इस योजना में 1.20 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न और 1.30 लाख मीट्रिक टन फल-सब्जी का उत्पादन हुआ है। अब इसका दायरा बढ़ाने की तैयारी है और इसके लिए बजट में सरकार ने इस योजना में 87.56 करोड़ का प्रविधान किया गया है। इसके अलावा सब मिशन आन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन के तहत राज्य के लघु, सीमांत एवं महिला कृषकों के साथ ही सुदूरवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों तक कृषि यंत्रों की पहुंच बढ़ाने की मुहिम तेज करने का बजट में इरादा जाहिर किया गया है। गन्ना किसानों के भुगतान में आने वाली दिक्कतों से पार पाने के लिए इस बार सरकार ने गन्ना मूल्य के भुगतान के लिए बजट के 245 करोड़ का प्रविधान किया है, ताकि किसानों को उनकी मेहनत का मोल वक्त पर मिल सके।
पर्वतीय क्षेत्र में उत्पादित होने वाले सेब, माल्टा, नींबू, गलगल, नाशपाती जैसे फलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ही इनके विपणन के लिए मोर ड्राप-मोर क्राप, राष्ट्रीय हॉर्टिकल्चर मिशन, एकीकृत बागवानी योजना, मिशन एप्पल, उद्यान बीमा योजना के लिए भी बजट में कई प्रविधान प्रस्तावित किए गए हैं। सेब उत्पादक समितियों और सेब उत्पादन विपणन सहकारी संघ के माध्यम से सेब प्रसंस्करण एवं विपणन की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला स्थापित करने करने का इरादा जाहिर किया गया है। इससे करीब 20 हजार सेब उत्पादक लाभान्वित होंगे।
मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजना में क्लस्टर खेती के लिए बजट में 20 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। इसके साथ ही एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम योजना में चयनित 95 गांवों को कृषि व इससे जुड़ी गतिविधियों के लिहाज से सशक्त बनाने के लिए बजट में 12 करोड़ रुपये का प्रविधान है। राज्य में चल रही राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में 67.94 करोड़ का प्रविधान नए वर्ष के लिए किया गया है। यही नहीं, खेती से अधिक पैदावार लेने के मद्देनजर खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए सिंचाई विभाग के माध्यम नलकूपों, नहरों, झीलों व बांधों के रखरखाव के लिए 118 करोड़ और नलकूपों व नहरों के निर्माण के लिए 150 करोड़ का बजट प्रविधान प्रस्तावित कर सरकार ने यह संदेश देने का भी प्रयास किया है कि खेतों की सिंचाई को भी वह सजग है।