देहरादून। दिल्ली-दून राजमार्ग को फोरलेन करने की दिशा में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने प्रयास तेज कर दिए हैं। गणेशपुर से आशारोड़ी के बीच करीब 19.38 किलोमीटर का भाग वन एवं वन्यजीवों के लिहाज से बेहद अहम है, लिहाजा इस बात को ध्यान में रखकर प्राधिकरण सुरक्षा व प्रबंधन के तमाम पहलुओं पर भी गौर कर रहा है। सिर्फ इन्हीं कार्यों के लिए करीब 52 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। यह राशि उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के वन विभाग को जारी कर दी गई है।
एनएचएआइ के अधिकारियों के मुताबिक सड़क चौड़ीकरण परियोजना में अधिकतम 7500 पेड़ जद में आ रहे हैं। हालांकि, इनकी जगह एक लाख पेड़ लगाने की योजना है। वनीकरण के अलावा वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए अन्य तमाम प्रयास भी उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के वन विभाग के माध्यम से किए जाएंगे। प्राधिकरण अधिकारियों के मुताबिक जिन पेड़ों का कटान प्रस्तावित हैं, उसमें भी देखा जाएगा कि कितने पेड़ बचाए जा सकते हैं। पेड़ों का कटान अधिकांश उन स्थल पर किया जाएगा, जहां एलिवेटेड रोड के पिलर के लिए बुनियाद खोदी जाएगी।
इस तरह कट रहे पेड़
- उत्तराखंड : डाटकाली के कुछ पहले से आशारोड़ी के बीच करीब 2500 पेड़
- उत्तर प्रदेश : गणेशपुर डाटकाली के पहले (मोहंड) के बीच करीब 5000 पेड़
लगाए जाएंगे पेड़
- उत्तराखंड : 40 हजार पेड़
- उत्तर प्रदेश : 60 हजार पेड़
आवंटित धनराशि
- उत्तराखंड : 10 करोड़ रुपये
- उत्तर प्रदेश : 42 करोड़ रुपये
पहले जद में आ रहे थे 15 हजार पेड़
पूर्व में परियोजना के पूरे हिस्से को फोरलेन करने का प्रस्ताव था। इसके तहत करीब 15 हजार पेड़ काटे जाने थे। वहीं, वन्यजीवों की सुरक्षा का सवाल भी जस का तस बना था। 30 जून 2020 को भारतीय वन्यजीव संस्थान, शिवालिक वन प्रभाग व राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने संयुक्त सर्वे कर बताया था कि वन्यजीवों का कारीडोर (गलियारा) को सुरक्षित रखने के लिए गणेशपुर से लेकर मोहंड के आखिरी मोड़ तक एलिवेटेड रोड बनाई जानी चाहिए। इससे न सिर्फ कम पेड़ कटेंगे, बल्कि एलिवेटेड रोड के नीचे वन्यजीव स्वछंदता के साथ विचरण कर सकेंगे। लिहाजा, उत्तराखंड के करीब तीन किमी भाग को छोड़ते हुए शेष भाग पर एलिवेटेड रोड बनाने की हरी झंडी दे दी गई।