हल्द्वानी, संवाददाता : उत्तराखंड में सियासी हलचल को लेकर आम से खास तक तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद अगले मुख्यमंत्री को लेकर कयास लगने लगे हैं। वहीं, शहर के अलग-अलग वर्ग के लोगों का कहना है कि बार-बार सीएम बदलने से बजाय विकास पर ध्यान देना चाहिए। किसी ने त्रिवेंद्र ने तारीफ की है तो किसी ने आलोचना।
त्रिवेंद्र सिंह रावत भले ही ईमानदार छवि के हों, मगर उनके काम धरातल पर न दिखाई देना घातक रहा। गैरसैंण कमिश्नरी घोषित करने से भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। बहरहाल यह देखना दिलचस्प रहेगा कि नया सीएम कितना दमखम रखता है। चुनाव से पहले वो जनता के बीच में किस तरह से अपनी छवि बनाएगा।
पान गिरि गोस्वामी, सेवानिवृत्त उप शिक्षा निदेशक (माध्यमिक शिक्षा)
एक आम नागरिक के नाते कहें तो त्रिवेंद्र सिंह रावत का इस्तीफा देना ठीक नहीं है। चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में नए सीएम को हर तरह की चुनौती का सामना करना होगा। उत्तराखंड में सीएम हटाए जाने की वर्षों पुरानी परंपरा गलत है। यदि किसी को दायित्व दिया गया है तो उसे पांच साल तक मौका देना ही चाहिए।
डा. बीसी उप्रेती, सेवानिवृत्त उप निदेशक उच्च शिक्षा
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे को लेकर कुछ दिन से सियासत गरमाई हुई थी। सीएम चाहे कोई भी बने, उन्हें राज्य के विकास के लिए गंभीर होना चाहिए। राज्य गठन से अब तक उत्तराखंड में संतोषजनक विकास नहीं हुआ।
– विनीत परिहार, सचिव, हल्द्वानी बार एसोसिएशन
प्रदेश में अचानक अपने पद से त्यागपत्र देकर परिवर्तन किया जाना जनमानस की समझ से परे है। वर्तमान सरकार का अल्प समय ही शेष है। ऐसी स्थिति में सत्ता परिवर्तन का उद्देश्य संभवतया अंदरूनी कलह समाप्त करना ही है।
– सुनील पुंडीर, अधिवक्ता, हल्द्वानी
राज्य में सीएम बदलने का फैसला केंद्र हाईकमान का है। यह भाजपा का अंदरूनी मामला है। जो भी नए सीएम बनेंगे, राजहित व अधिवक्ताओं की समस्याओं को दूर करने के लिए अच्छे निर्णय लेंगे। हम राज्य की बेहतरी की उम्मीद करते हैं।
– विपिन कुमार, अधिवक्ता, हल्द्वानी
इस प्रकार बार-बार मुख्यमंत्री बदलने से राज्य के विकास के साथ ही आम जनता का लोकतंत्र पर विश्वास कम होता है। केंद्र नेतृत्व में प्रदेश का नेतृत्व देने से पहले ही उसका आकलन कर लेना चाहिए। जनमत का सम्मान किया जाना चाहिए।
– कैप्टन (रि.) ज्वाला दत्त पंत
सीएम का बार-बार बदलना राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। स्व. नारायण दत्त तिवाड़ी के बाद से हर सरकार में कार्यकाल पूर्ण करने से पहले सीएम बदले जा रहे हैं। इससे राज्य के चहुंमुखी विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है।
– कैप्टन (रि.) बहादुर सिंह
सीएम का बदलना राज्य के विकास पर असर डालेगा। सरकार का मात्र एक साल का कार्यकाल बचा है। इस अल्प समयावधि में नए चेहरे को राज्य को समझने का ही समय मिलेगा। इस खामियाजा जनता को भुगतना होगा। इस पर विचार किया जाना चाहिए था।
– कैप्टन (रि.) कृपाल सिंह कोरंगा
राज्य में जो भी नए सीएम बनें, वह व्यापारी हितों को ध्यान में रखने वाले हों। निराश व्यापारी वर्ग में आशा जगाने में कारगर हों। सीएम त्रिवेंद्र रावत का कार्यकाल संतोषजनक रहा है। आने वाला 2022 चुनावी वर्ष है। इसलिए तेजतर्रार सीएम बनाने की जरूरत है।
– डा. प्रमोद अग्रवाल गोल्डी, व्यापारी नेता
त्रिवेंद्र सिंह रावत के जीरो वर्क सीएम होने का दावा आम आदमी पार्टी लगातार कहती रही है। भाजपा आला कमान ने आप के इस दावे पर अपनी मुहर लगा दी है। भाजपा को राज्य की जनता के चार साल बर्बाद करने के लिए माफी मांगनी चाहिए। सीएम के इस्तीफे से साफ हो गया है कि भाजपा ने 2022 चुनाव से पहले ही अपनी हार मान ली है।
– समित टिक्कू, प्रदेश प्रवक्ता, आम आदमी पार्टी
21 साल के युवा उत्तराखंड में 10वां सीएम बनेगा। यह राज्य के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। डबल इंजन सरकार पूरी तरह से फेल हो चुकी है। एक साल के लिए सीएम का चेहरा बदलने का फैसला लोगों को छलने के लिए लिया गया है।
– त्रिलोचन जोशी, जिला को-आर्डिनेटर नैनीताल, आम आदमी पार्टी
20 वर्ष में आठ मुख्यमंत्री बदलना राज्य की आंदोलनकारी जनता और राज्य आंदोलन के शहीदों का बहुत बड़ा अपमान है। भाजपा और कांग्रेस की राजनीतिक अराजकता ने देवभूमि की जनता का मजाक बना कर रख दिया है। जनता करारा जवाब देकर आम आदमी की सरकार बनाएगी।