देहरादून,राजधानी मे चेन स्नैचिंग की ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम देकर बेख़ौफ़ अपराधियो ने देहरादून पुलिस की कार्यशैली की धज्जियां उड़ा कर रख दी है ।
हैरानी की बात यह है कि चेंन स्नेचर बिना रुके एक के बाद एक घटनाओं को अंजाम देते रहे लेकिन देहरादून की पुलिस उन्हें नहीं दबोच पाई ।पुलिस को धता बताते हुए बेखौफ चेन स्नेचर बेहद आसानी से फरार होने में भी कामयाब रहे ।
राजधानी दून की लचर पुलिस व्यवस्था से आमजन में बेहद ख़ौफ़ पसरना लाजिमी है। विशेषकर देहरादून की महिलाएं भरे उजाले में भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं ।गुरुवार का दिन देहरादून की अपराधिक घटनाओं के इतिहास में शामिल हो गया ।संभवत यह पहला मौका रहा होगा कि जब एक दो नहीं बल्कि 6 चेन स्नेचिंग की घटनाओं को मिनटों में अंजाम दिया गया। चेन स्नेचर इसलिए भी बेखौफ थे क्योंकि देहरादून की पुलिस सड़कों से नदारद रहती है , शायद यह बात चेन स्नेचर भली-भांति जानते थे। ताबड़तोड़ घटनाओं से राजधानी के दहल जाने पर पूर्व पुलिस कप्तान अरुण मोहन जोशी के कार्यकाल की याद दिला दी है ।बेहद सख्त मिजाज के माने जाने वाले अरुण मोहन जोशी के कार्यकाल के दौरान ना सिर्फ यातायात व्यवस्था दुरुस्त रहती थी बल्कि उस दौरान घटी संगीन घटनाओं के खुलासे मे पुलिस कप्तान खुद शामिल रहते थे।अगर उनके कार्यकाल पर नजर डाले तो बेहद हाई प्रोफाइल घटनाए उस दौरान घटित हुई लेकिन पुलिस कप्तान अरुण मोहन जोशी की अगुवाई में उनकी टीम ने बेहतर कार्य करते हुए हर वारदात का खुलासा किया ।कुछ घटनाएं तो बेहद ही पेचीदा थी लेकिन देहरादून पुलिस ने टीमवर्क से हर गुत्थी को भी सुलझाया। गुरुवार को घटी इन घटनाओं के बाद हर किसी की जुबान पर अरुण मोहन जोशी की कप्तानी के चर्चे थे ,क्योंकि उस वक्त दिन में तो पुलिस सड़क पर पूरी तरह से मुस्तैद होती ही थी लेकिन रात में शहर में पूरी तरह से नाकेबंदी करके सघन चेकिंग अभियान चलाया जाता था।यही वजह थी कि अपराधियों में उस वक्त देहरादून पुलिस का खासा खौफ था, जो मौजूदा समय में शायद रत्ती भर भी नहीं रह गया है ,इसलिए भरे उजाले में अपराधी तांडव कर रहे हैं लेकिन देहरादून पुलिस कुंभकरण की नींद सोई हुई है। शायद आज यही वजह रही कि डीजीपी उत्तराखंड अशोक कुमार को ज़िले की टीम को बुलाकर पेंच कसने पड़े।